मंदिर में हुआ प्रभु प्रतिमा का मंगल प्रवेश, साध्वीद्वय की हुई बड़ी दीक्षा जोधपुर। राष्ट्र संत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी एवं युवा मनी...
मंदिर में हुआ प्रभु प्रतिमा का मंगल प्रवेश, साध्वीद्वय की हुई बड़ी दीक्षा
जोधपुर। राष्ट्र संत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी एवं युवा मनीषी डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय सागर जी का राजस्थान के नागौर शहर में चिरस्मणीय प्रवास रहा। जीने की कला विशिष्ट प्रवचन माला के 18 दिवसीय सत्संग के साथ बड़ी दीक्षा का समारोह सम्पन्न हुआ। 21 वर्षों के बाद राष्ट्रसंतों के पुनः नागौर आगमन से पूरा शहर उत्साह एवं उमंग से भर गया। जिन्हें रोज टी.वी. चैनल, यूट्यूब एवं मोबाइल पर श्रद्धालु देख और सुन रहे थे, उन्हीं राष्ट्र-संतों को प्रत्यक्ष सुनने के लिए पूरा नगर उमड़ पड़ा। बंशीवाला
मंदिर प्रांगण में विराट प्रवचन माला का कार्यक्रम रखा गया। नागौर के श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ के कर्मठ एवं समर्पित कार्यकर्ताओं ने पूरे जोश के साथ इस प्रवचनमाला का आयोजन किया। इसमें नगर के 36 कौम के हजारों भाई-बहिनों ने भाग लिया, टूटे परिवार जुड़े, सैकड़ों लोगों ने दुव्र्यसन का त्याग किया। युवाओं ने जीवन निर्माण के ऊँचे सपने देखने
सीखे, आम जनता ने धर्म का नया नजरिया पाया। नागौर के लगभग हर घर में राष्ट्र संतों का साहित्य पहुंचा, पूरा शहर गुरुजनों की वाणी से धन्य हो
गया।
इस वर्ष नागौर वालों के लिए महावीर जयंती चिर स्मरणीय बन गई जब गुरुजनों के सान्निध्य में भव्य शोभायात्रा निकली। इसी दिन बारला मंदिर के विशाल
प्रांगण में वरिष्ठ साध्वीवर्या विचक्षण-मणि श्री सुरंजनाश्री जी म. की नवदीक्षित सुशिष्याएँ साध्वी श्री चित्तलेहांजनाश्री जी और साध्वी श्री चित्तखराश्री जी म. की ऐतिहासिक बड़ी दीक्षा सम्पन्न हुई। नवनिर्मित
सुपाश्र्वनाथ जैन मंदिर एवं जिनदत्तसूरि दादावाड़ी में परमात्मा की प्रतिमा एवं दादा गुरुदेव की प्राचीन चरणपादुकाओं का मंगल प्रवेश हुआ। राष्ट्र-संतों के नागौर का प्रवास 36 कौम के लिए उपलब्धिपूर्ण रहा।
जनमेदनी के श्रद्धा भरे आग्रह को देखते हुए गुरुजनों ने पुनः शीघ्र नागौर आने का आश्वासन दिया।
मंदिर प्रांगण में विराट प्रवचन माला का कार्यक्रम रखा गया। नागौर के श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ के कर्मठ एवं समर्पित कार्यकर्ताओं ने पूरे जोश के साथ इस प्रवचनमाला का आयोजन किया। इसमें नगर के 36 कौम के हजारों भाई-बहिनों ने भाग लिया, टूटे परिवार जुड़े, सैकड़ों लोगों ने दुव्र्यसन का त्याग किया। युवाओं ने जीवन निर्माण के ऊँचे सपने देखने
सीखे, आम जनता ने धर्म का नया नजरिया पाया। नागौर के लगभग हर घर में राष्ट्र संतों का साहित्य पहुंचा, पूरा शहर गुरुजनों की वाणी से धन्य हो
गया।
इस वर्ष नागौर वालों के लिए महावीर जयंती चिर स्मरणीय बन गई जब गुरुजनों के सान्निध्य में भव्य शोभायात्रा निकली। इसी दिन बारला मंदिर के विशाल
प्रांगण में वरिष्ठ साध्वीवर्या विचक्षण-मणि श्री सुरंजनाश्री जी म. की नवदीक्षित सुशिष्याएँ साध्वी श्री चित्तलेहांजनाश्री जी और साध्वी श्री चित्तखराश्री जी म. की ऐतिहासिक बड़ी दीक्षा सम्पन्न हुई। नवनिर्मित
सुपाश्र्वनाथ जैन मंदिर एवं जिनदत्तसूरि दादावाड़ी में परमात्मा की प्रतिमा एवं दादा गुरुदेव की प्राचीन चरणपादुकाओं का मंगल प्रवेश हुआ। राष्ट्र-संतों के नागौर का प्रवास 36 कौम के लिए उपलब्धिपूर्ण रहा।
जनमेदनी के श्रद्धा भरे आग्रह को देखते हुए गुरुजनों ने पुनः शीघ्र नागौर आने का आश्वासन दिया।
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