गोविंददेवजी मंदिर में भागवत कथा का विश्राम जयपुर। गोविंद देवजी मंदिर में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का विश्राम हुआ। व्यासपीठ स...
गोविंददेवजी मंदिर में भागवत कथा का विश्राम
जयपुर। गोविंद देवजी मंदिर में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का विश्राम हुआ। व्यासपीठ से ललित संप्रदायाचार्य संजय गोस्वामी महाराज ने सुदामा चरित्र, कलियुग वर्णन, नवयोगेश्वर संवाद, 24 गुरुओं की कथा, भागवत सार और परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण करवाया। कलियुग वर्णन में गोस्वामी ने कहा कि इस युग में जप-तप की जरुरत नहीं है, केवल भगवान का नाम सुमिरन ही भव सागर से पार उतरा जा सकता है। 24 गुरुओं की कथा में उन्होंने कहा कि अच्छाई जहां भी दिखे उसे वरण करना चाहिए और बुराई खुद में भी हो तो वह भी त्याज्य है। इससे पूर्व सुदामा चरित्र में गोस्वामी ने कहा कि भगवान की भक्ति निष्काम भाव से करनी चाहिए। भक्ति के बदले कुछ कामना करना भक्ति का निरादर है। भगवान सर्वज्ञ हैं वे जानते हैं कि किसे कब और क्या देना है। परीक्षित मोक्ष के प्रसंग में उन्होंने कहा कि मृत्यु अटल है, वह अवश्य आएगी। मृत्यु से डरना नहीं चाहिए। भागवत का सार यही है कि मृत्यु नए जीवन की शुरुआत है। मृत्य शोक नहीं उत्सव है। कथा के विश्राम पर गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने भागवतजी की आरती उतारी।
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