पुरे राजस्थान में तहसील से लेकर राजधानी तक वेतन कटौती के विरोध मे राज्य कर्मचारियों ने महात्मा गाँधी जी की मूर्ती के नीचे बैठकर ...
पुरे राजस्थान में तहसील से लेकर राजधानी तक वेतन कटौती के विरोध मे राज्य कर्मचारियों ने महात्मा गाँधी जी की मूर्ती के नीचे बैठकर किया उपवास एवं राज्य के मुख्यमंत्री को याद दिलाया गाँधीवाद
जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड ने बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश की समस्त तहसील मुख्यालय, जिला मुख्यालयों एवं राजधानी सहित अनेक कार्यालयों में गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष उपवास रखकर राज्य कर्मचारियों ने वेतन कटौती के विरोध में प्रदर्शन किया। राज्य कर्मचारी पूर्व मंे ही अपनी क्षमता से अधिक राज्य सरकार का आर्थिक सहयोग कर चुका है परन्तु राज्य सरकार निरंकुश हो गयी है जिसके चलते राज्य कर्मचारियों के वेतन से जबरन वसूली कर रही है। देश में आजादी के बाद यह पहला उदहारण है कि राज्य कर्मचारियों का वेतन असंवैधानिक रूप से काटा जा रहा है।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया ने राज्य सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री गांँधीवाद का मुखौटा बनकर रह गये है जबकी गाँधी जी के आदर्शो के विपरीत आचरण किया जा रहा है। राज्य सरकार कोविड-19 के नाम पर कर्मचारियों से प्रत्यक्षरूप से ठगी कर रही है जिसको राज्य कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्य कर्मचारी समर्पण भाव से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की सफल क्रियान्विती हेतु प्रतिबद्ध है परन्तु राज्य सरकार की बदनियती का करारा जबाब देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार कर्मचारियों से लगभग 12 हजार करोड रूपये वसूली कर चुकी है जबकी राज्य कर्मचारियेां को आय-व्यय का हिसाब नहीं दिया है।
राजधानी जयपुर में गांधी सर्किल पर उपवास कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता, ओम प्रकाश शर्मा, मुरारी लाल पारीक, सेवानिवृत कर्मचारी नेता मदन सिंह, महावीर प्रसाद शर्मा, प्यारेलाल चैधरी, महेन्द्र कुमार तिवारी, नारायण सिंह, सीताराम सुलानिया, अखिलेश जैन, जिलाध्यक्ष चन्द्रशेखर गुर्जर, रतन कुमार प्रजापति, आदि नेताओं सहित विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
आंदोलन के अग्रिम चरणों हेतु रविवार को महासंघ की प्रतिनिधि सभा होगी जिसमें कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जावेगी।
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