जयपुर, 22 जनवरी, 2021ः स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी उच्च शिक्षा में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी एक अग्रणी भूमिका में है, वहीं सार्वजनिक स्वास्थ्य के ...
जयपुर, 22 जनवरी, 2021ः स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी उच्च शिक्षा में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी एक अग्रणी भूमिका में है, वहीं सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह एक ग्लेाबल हब है। आईआईएचएमआर ने 22 जनवरी 2021 को 'अपाॅच्र्युनिटीज एंड चैलेंजेस फाॅर ट्वेंटी फस्र्ट सेंचुरी पब्लिक हैल्थ' विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। महामारी की वर्तमान स्थिति और बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए इस वेबिनार का आयोजन किया गया। यूनिवर्सिटी ने हाल ही में सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ (एसडीजी-एसपीएच) का शुभारंभ किया।
वेबिनार के दौरान, डॉ अशोक अग्रवाल, मैनेजमेंट ट्रस्टी और संस्थापक आईआईएचएमआर, बोर्ड ऑफ ट्रस्टी- भोरुका चैरिटेबल ट्रस्ट और जॉन्स हॉपकिन्स, ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ यूएसए के बोर्ड मेंबर, डॉ अक्षय सी. धारीवाल, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट (पीएचएस), इंस्टीट्यूट बाॅडी मेम्बर, एआईआईएमएस, बिलासपुर, एचपी, मेम्बर एसएजी-एसईडी, आईसीएमआर, पूर्व निदेशक, एनवीबीडीसीपी और एनसीडीसी और पूर्व कमिश्नर (एमसीएच) सहित डॉ वीएम कटोच, एनएएसआई-आईसीएमआर चेयर ऑन पब्लिक हेल्थ रिसर्च ऑन राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, जयपुर, प्रेसिडेंट जेआईपीएमईआर, पुड्डुचेरी और एआईएमएमएस मदुरै, पूर्व सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, नई दिल्ली ने प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। ये ऐसे बिंदु हैं, जो हमें एसडीजी के 2030 लक्ष्यों को प्राप्त करने के करीब लाएंगे। वेबिनार का संचालन डॉ. डी. के. मंगल, प्रोफेसर और डीन रिसर्च, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर ने किया।
डॉ अशोक अग्रवाल, मैनेजमेंट ट्रस्टी और संस्थापक आईआईएचएमआर ने कहा, ''स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आने वाले व्यवधान न तो रहस्यपूर्ण हैं और न ही वे रातोंरात हमारे सामने आए हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य कभी जटिल नहीं रहा, क्योंकि नई बीमारियों का उद्भव, उपचार के नए तौर-तरीके, शिक्षित रोगियों और स्वास्थ्य लाभार्थियों के बीच उपभोक्तावाद का उदय होने से इस क्षेत्र में हमेशा हलचल होती रही है। इन्हीं बदलती स्थितियों के बीच आज सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए टैक्नोलाॅजी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। आज हमें इमर्जेंसी यूज आॅथोराइजेशन (ईयूए) पर भी ध्यान देना होगा, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थितियों में वैक्सीन सहित अन्य उपचार संबंधी उपायों का इस्तेमाल किया जा सके, जैसा कि हाल के दौर में कोविड- 19 महामारी से उपजी स्थितियों में हुआ।''
डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा, ''महामारी से पैदा हुए भारी संकट के कारण दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की तरफ बड़े पैमाने पर ध्यान दिया गया है और इस संकट से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में धन का इंतजाम भी किया गया। यह हमारे लिए एक तरह से चेतावनी है कि इस तरह के संकट से दुनिया फिर से प्रभावित हो सकती है। अब समय और फिर। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम इस दिशा में वैश्विक स्तर पर कार्रवाई को अंजाम दें और लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को पहले से और सशक्त बनाएं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी तरफ विशेषज्ञों को सोचना और विचार करना होगा। उपरोक्त सभी पहलुओं के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने डॉ. एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ का शुभारंभ किया।''
वेबिनार में विशेषज्ञों ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए बनाए गए एक दशक के लक्ष्यों पर भी विचार व्यक्त किए।
वेबिनार में विचार व्यक्त करते हुए डाॅ. अक्षय सी धारीवाल, पब्लिक हैल्थ स्पेशलिस्ट (पीएचएस), भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बीसवीं सदी और इक्कीसवीं सदी के प्रथम दो दशकों में हासिल प्रमुख उपलब्धियों जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि पर चर्चा की। डॉ. धारीवाल ने कहा, ''सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 20 वीं और 21 वीं सदी की उपलब्धियांे में प्रमुख हैं- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, गैर-संचारी और संचारी रोग और जलवायु परिवर्तन। इन्हीं उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है रोग उन्मूलन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों का दक्ष होना, इसी विशिष्टता के कारण महामारी विज्ञानियों ने रोगों का प्रभावी रूप से उन्मूलन किया और उन पर नियंत्रण किया। पश्चिम अफ्रीका में गिनी वर्म उन्मूलन कार्यक्रम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां सीमित मानव संसाधनों से इस बीमारी का उन्मूलन किया गया था।''
सार्वजनिक स्वास्थ्य की दुनिया में मौजूद चुनौतियों की चर्चा करते हुए डॉ धारीवाल ने कहा, ''भविष्य में हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के उत्पन्न होने वाली चुनौतियों में बायोटेररिज्म, न्यूक्लियर थ्रेट और केमिकल वारफेयर पर अधिक जोर देना होगा। हमारे पास बेहतरीन नीतियां हैं। स्वच्छ भारत अभियान, पोषण अभियान, फिट इंडिया कैंपेन, डिजिटल इंडिया अभियान, उज्ज्वला योजना जैसे कई अवसर हैं जहाँ हम सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लाभान्वित हो सकते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत एनडीएमए और एनआईडीएम सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, और 'पब्लिक हैल्थ सर्विलैंस इन इंडिया' पर आधारित 'नीती आयोग-विजन 2035 डाॅक्यूमेंट'' भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी सर्वोच्च प्राथमिकता पर होनी चाहिए। नीती आयोग ने विकासात्मक गतिविधियों के लिए समग्र सूचकांक के आधार पर लगभग 117 जिलों की पहचान की है। स्वास्थ्य मंत्रालय या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबंधित अनेक समस्याएं आज भी अनसुलझी हैं, जैसे कुपोषण की समस्या, डेंगू हैल्थ प्राॅब्लम या जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं। इन समस्याओं को निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया जा सका, हालांकि इस दिशा में एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता थी।''
डाॅ. वी. के कटोच, एनएएसआई-आईसीएमआर, चेयर आॅन पब्लिक हैल्थ रिसर्च, राजस्थान यूनिवर्सिटी आॅु हैल्थ साइंस्, जयपुर ने एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ की आवष्यकता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि, "आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी का एक अनोखा माॅडल है और इसे बनाने का श्रेय गहन सोच-विचार करने वाले लोगों को दिया जाता है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी तकनीकियों के दृष्टिकोण से महामारी से निपटने एवं अनुभव के साथ हाथों से काम करने के लिए लोगों को उच्चतम क्रम में प्रषिक्षित करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों को समय रहते प्रतिक्रिया करने के लिए प्रषिक्षित किया जाना चाहिए, हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पेषेवरों की संख्या बहुत ही कम है। एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ तभी फर्क करेगा जब वे सार्वजनिक स्वास्थ्य पेषेवरों को स्वाथ्य अर्थषास्त्र, सामाजिक व्यहार, क्लिनिकल अनुवांषिक क्षेत्रों में मजबूत होने के लिए प्रषिक्षित करने में सक्षम हों तथा उन्हे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सक्षम होने देना चाहिए आदि। एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ न केवल पब्लिक हैल्थ स्पेषलिस्ट को प्रषिक्षित करने के लिए होगा बल्कि उन लोगों के लिए एक स्कूल होगा जो भविष्य के विचारक सेनापति होंगे।"
विश्व स्तर पर स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में सार्वजनिक स्वास्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, यह भी सच है कि स्वास्थ्य के उपचारात्मक पहलुओं की तुलना में इसकी तरफ उचित ध्यान नहीं दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि आम लोगोें केजीवन की गुणवत्ता में बहुत धीमी गति से सुधार हो रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि हम 21 वीं सदी की नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए अधिक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं। सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़ती आवश्यकताओं, चुनौतियों और अवसरों को सपोर्ट करते हुए इस डोमेन में उत्कृष्टता के साथ आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय ने डॉ एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ का शुभारंभ किया है। एसडीजी स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ आम जनता के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान का प्रसार करने के उद्देश्यों के साथ स्थापित किया गया है। इसके साथ ही डॉ एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा और प्रयासों में व्याप्त अंतराल को कम कर रहा है, बल्कि भविष्य के अग्रणी लोगों को तैयार करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता और कौशल का निर्माण भी करने का प्रयास कर रहा है, ताकि 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
वेबिनार के दौरान, डॉ अशोक अग्रवाल, मैनेजमेंट ट्रस्टी और संस्थापक आईआईएचएमआर, बोर्ड ऑफ ट्रस्टी- भोरुका चैरिटेबल ट्रस्ट और जॉन्स हॉपकिन्स, ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ यूएसए के बोर्ड मेंबर, डॉ अक्षय सी. धारीवाल, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट (पीएचएस), इंस्टीट्यूट बाॅडी मेम्बर, एआईआईएमएस, बिलासपुर, एचपी, मेम्बर एसएजी-एसईडी, आईसीएमआर, पूर्व निदेशक, एनवीबीडीसीपी और एनसीडीसी और पूर्व कमिश्नर (एमसीएच) सहित डॉ वीएम कटोच, एनएएसआई-आईसीएमआर चेयर ऑन पब्लिक हेल्थ रिसर्च ऑन राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, जयपुर, प्रेसिडेंट जेआईपीएमईआर, पुड्डुचेरी और एआईएमएमएस मदुरै, पूर्व सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, नई दिल्ली ने प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। ये ऐसे बिंदु हैं, जो हमें एसडीजी के 2030 लक्ष्यों को प्राप्त करने के करीब लाएंगे। वेबिनार का संचालन डॉ. डी. के. मंगल, प्रोफेसर और डीन रिसर्च, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर ने किया।
डॉ अशोक अग्रवाल, मैनेजमेंट ट्रस्टी और संस्थापक आईआईएचएमआर ने कहा, ''स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आने वाले व्यवधान न तो रहस्यपूर्ण हैं और न ही वे रातोंरात हमारे सामने आए हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य कभी जटिल नहीं रहा, क्योंकि नई बीमारियों का उद्भव, उपचार के नए तौर-तरीके, शिक्षित रोगियों और स्वास्थ्य लाभार्थियों के बीच उपभोक्तावाद का उदय होने से इस क्षेत्र में हमेशा हलचल होती रही है। इन्हीं बदलती स्थितियों के बीच आज सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए टैक्नोलाॅजी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। आज हमें इमर्जेंसी यूज आॅथोराइजेशन (ईयूए) पर भी ध्यान देना होगा, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थितियों में वैक्सीन सहित अन्य उपचार संबंधी उपायों का इस्तेमाल किया जा सके, जैसा कि हाल के दौर में कोविड- 19 महामारी से उपजी स्थितियों में हुआ।''
डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा, ''महामारी से पैदा हुए भारी संकट के कारण दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की तरफ बड़े पैमाने पर ध्यान दिया गया है और इस संकट से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में धन का इंतजाम भी किया गया। यह हमारे लिए एक तरह से चेतावनी है कि इस तरह के संकट से दुनिया फिर से प्रभावित हो सकती है। अब समय और फिर। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम इस दिशा में वैश्विक स्तर पर कार्रवाई को अंजाम दें और लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को पहले से और सशक्त बनाएं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी तरफ विशेषज्ञों को सोचना और विचार करना होगा। उपरोक्त सभी पहलुओं के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने डॉ. एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ का शुभारंभ किया।''
वेबिनार में विशेषज्ञों ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए बनाए गए एक दशक के लक्ष्यों पर भी विचार व्यक्त किए।
वेबिनार में विचार व्यक्त करते हुए डाॅ. अक्षय सी धारीवाल, पब्लिक हैल्थ स्पेशलिस्ट (पीएचएस), भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बीसवीं सदी और इक्कीसवीं सदी के प्रथम दो दशकों में हासिल प्रमुख उपलब्धियों जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर इत्यादि पर चर्चा की। डॉ. धारीवाल ने कहा, ''सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 20 वीं और 21 वीं सदी की उपलब्धियांे में प्रमुख हैं- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, गैर-संचारी और संचारी रोग और जलवायु परिवर्तन। इन्हीं उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है रोग उन्मूलन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों का दक्ष होना, इसी विशिष्टता के कारण महामारी विज्ञानियों ने रोगों का प्रभावी रूप से उन्मूलन किया और उन पर नियंत्रण किया। पश्चिम अफ्रीका में गिनी वर्म उन्मूलन कार्यक्रम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां सीमित मानव संसाधनों से इस बीमारी का उन्मूलन किया गया था।''
सार्वजनिक स्वास्थ्य की दुनिया में मौजूद चुनौतियों की चर्चा करते हुए डॉ धारीवाल ने कहा, ''भविष्य में हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के उत्पन्न होने वाली चुनौतियों में बायोटेररिज्म, न्यूक्लियर थ्रेट और केमिकल वारफेयर पर अधिक जोर देना होगा। हमारे पास बेहतरीन नीतियां हैं। स्वच्छ भारत अभियान, पोषण अभियान, फिट इंडिया कैंपेन, डिजिटल इंडिया अभियान, उज्ज्वला योजना जैसे कई अवसर हैं जहाँ हम सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लाभान्वित हो सकते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत एनडीएमए और एनआईडीएम सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, और 'पब्लिक हैल्थ सर्विलैंस इन इंडिया' पर आधारित 'नीती आयोग-विजन 2035 डाॅक्यूमेंट'' भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी सर्वोच्च प्राथमिकता पर होनी चाहिए। नीती आयोग ने विकासात्मक गतिविधियों के लिए समग्र सूचकांक के आधार पर लगभग 117 जिलों की पहचान की है। स्वास्थ्य मंत्रालय या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबंधित अनेक समस्याएं आज भी अनसुलझी हैं, जैसे कुपोषण की समस्या, डेंगू हैल्थ प्राॅब्लम या जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं। इन समस्याओं को निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया जा सका, हालांकि इस दिशा में एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता थी।''
डाॅ. वी. के कटोच, एनएएसआई-आईसीएमआर, चेयर आॅन पब्लिक हैल्थ रिसर्च, राजस्थान यूनिवर्सिटी आॅु हैल्थ साइंस्, जयपुर ने एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ की आवष्यकता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि, "आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी का एक अनोखा माॅडल है और इसे बनाने का श्रेय गहन सोच-विचार करने वाले लोगों को दिया जाता है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी तकनीकियों के दृष्टिकोण से महामारी से निपटने एवं अनुभव के साथ हाथों से काम करने के लिए लोगों को उच्चतम क्रम में प्रषिक्षित करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों को समय रहते प्रतिक्रिया करने के लिए प्रषिक्षित किया जाना चाहिए, हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पेषेवरों की संख्या बहुत ही कम है। एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ तभी फर्क करेगा जब वे सार्वजनिक स्वास्थ्य पेषेवरों को स्वाथ्य अर्थषास्त्र, सामाजिक व्यहार, क्लिनिकल अनुवांषिक क्षेत्रों में मजबूत होने के लिए प्रषिक्षित करने में सक्षम हों तथा उन्हे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सक्षम होने देना चाहिए आदि। एसडी गुप्ता स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ न केवल पब्लिक हैल्थ स्पेषलिस्ट को प्रषिक्षित करने के लिए होगा बल्कि उन लोगों के लिए एक स्कूल होगा जो भविष्य के विचारक सेनापति होंगे।"
विश्व स्तर पर स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में सार्वजनिक स्वास्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, यह भी सच है कि स्वास्थ्य के उपचारात्मक पहलुओं की तुलना में इसकी तरफ उचित ध्यान नहीं दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि आम लोगोें केजीवन की गुणवत्ता में बहुत धीमी गति से सुधार हो रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि हम 21 वीं सदी की नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए अधिक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं। सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़ती आवश्यकताओं, चुनौतियों और अवसरों को सपोर्ट करते हुए इस डोमेन में उत्कृष्टता के साथ आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय ने डॉ एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ का शुभारंभ किया है। एसडीजी स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ आम जनता के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान का प्रसार करने के उद्देश्यों के साथ स्थापित किया गया है। इसके साथ ही डॉ एस डी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा और प्रयासों में व्याप्त अंतराल को कम कर रहा है, बल्कि भविष्य के अग्रणी लोगों को तैयार करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता और कौशल का निर्माण भी करने का प्रयास कर रहा है, ताकि 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
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