कला एवं संस्कृति विभाग और जेकेके द्वारा आयोजित बुक एग्जीबिशन, सूवनिर शॉप, बुक क्लब, काव्य गायन, ओपन माइक, मॉड गायकी हमारी संस्कृ...
बुक एग्जीबिशन, सूवनिर शॉप, बुक क्लब, काव्य गायन, ओपन माइक, मॉड गायकी
हमारी संस्कृति मातृशक्ति को सबसे पहले वंदन करने की सीख देती है: कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री
जयपुर, 10 मार्च। कला, साहित्य एवं संस्कृति डॉ. बी. डी. कल्ला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार को जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के अलग-अलग स्थानों पर 10 से अधिक कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। इन कार्यक्रमों में हाल ही में लॉन्च किए गए '4-व्हील ड्राइव सिम्युलेटर' का डेमोंस्ट्रेशन भी शामिल है। इस दिन महिलाओं के लिए यह सिम्युलेटर निशुल्क उपलब्ध था। इस अवसर पर जेकेके सूवनिर शॉप और बुक क्लब का भी शुभारंभ किया गया। इसके बाद अलंकार आर्ट गैलरी में दो दिवसीय 'शक्ति आर्ट कैंप' का उद्घाटन किया गया, जिसमें कलाकारों की बनाई गई कलाकृति प्रदर्शित की जा रही है। इनके साथ महिला लेखकों की पुस्तक प्रदर्शनी और काव्य पाठ भी आयोजित किया गया।
हमारा हर दिन माता, पिता और गुरु को समर्पित
कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने इस मौके पर कहा कि हमारे देश में मातृशक्ति की लक्ष्मी, विद्या और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा की जाती है, मातृशक्ति हमेशा वंदनीय रही है। हमारी संस्कृति में माता, पिता और गुरु को देवता का दर्जा दिया गया है, यह हमें मातृशक्ति को सबसे पहले वंदन करना सिखाती है। उन्होंने कहा कि आजकल अलग—अलग दिवस मनाए जाते है, मगर हमारे यहां तो प्रतिदिन माता, पिता और गुरू को प्रणाम करने की परम्परा रही है। यह कार्यक्रम कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि माता हमारी प्रथम गुरु भी होती है। जो व्यक्ति अपने जीवन में मातृशक्ति का आदर करते हैं, वे सफलता की ऊंचाईयां तय करते हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी से मातृशक्ति कर सम्मान करने, उन्हें आगे बढ़ने और सशक्तीकरण के अवसर देने की अपील की।
स्व. राजीव गांधी का महिला सशक्तीकरण में योगदान
डॉ. कल्ला ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन करते हुए पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान किया और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने देश और समाज में महिलाओं को बराबरी के अवसर देते हुए महिला सशक्तीकरण में सबसे अधिक योगदान दिया।
जेकेके की महानिदेशक, सुश्री मुग्धा सिन्हा ने कहा कि 'महिलाएं सृजन की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। 10 मार्च को, कला एवं संस्कृति मंत्री ने 10 कार्यक्रमों का उद्घाटन किया है। हमारा एक वर्ष कोविड महामारी में बीता है, जहां हम सभी अपने घरों में अटके हुए थे। हालांकि कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किए जा रहे थे, लेकिन इनमें कलाप्रेमियों की संख्या हुत ही कम थी। जैसा कि सभी जानते हैं कि किसी भी कलाकार का काम जब तक दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाता, वह अधूरा माना जाता है।
जेकेके की ओर से सूवनिर शॉप, बुक क्लब व विभिन्न प्रदर्शनियों, काव्य गायन, व मांड गायकी जैसी विभिन्न पहलों के साथ हमने शानदार शुरुआत की है और आगामी दिनों में संगीत, नृत्य, रंगमंच, फिल्ममेकिंग जैसे क्षेत्रों में कई और शानदार कार्यक्रमों के लिए तैयार हैं।'
इसके अलावा इंडियन कॉफी हाउस में जीवंत 'ओपन माइक सैशन' आयोजित किया गया था जहा कई कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं को दर्शकों के समक्ष पढ़ा। राजस्थान के विज्ञान संग्रहालयों पर आधारित 'एक्सपर्टली शॉट डॉक्यूमेंटरी' कृष्णायन में प्रदर्शित की गई। इंडियन कॉफी हाउस में 'कप ऑफ जॉय' के कैशलेस सिस्टम का उद्घाटन किया गया। राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग और इंडियन वुमन हिस्ट्री म्यूजियम की ओर से आयोजित 'वुमन हिस्ट्री एग्जीबिशन' का भी उद्घाटन किया गया।
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