डॉ. पुनीत सक्सेना को मिला रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन ग्लासगो अवार्ड नियमित 45 मिनट ब्रिस्क वॉक डायबिटीज पर काबू पाने में सक्षम - डॉ...
नियमित 45 मिनट ब्रिस्क वॉक डायबिटीज पर काबू पाने में सक्षम - डॉ. पुनीत सक्सेना
हायपरटेंशन से बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी - डॉ. के.के.पारीक और डॉ. गिरीश माथुर
डॉ. के.के पारीक और डॉ. मुर्गनाथन, डॉ जीवराज मेहता अवॉर्ड से सम्मानित
डॉ. सुधीर भंडारी को मिला चिकित्सा क्षेत्र में कार्य के लिये विशिष्ट पुरस्कार
जयपुर, 15 अप्रैल, 2022। जेईसीसी में चल रहे 77वे एनुअल कॉन्फ्रेंस एपिकॉन-2022 में दूसरे दिन कई सत्रों में विभिन्न रोगों और उनके कारण एवं निदान पर चर्चा की गई। ओर्गनइजिंग चेयरमैन, डॉ. के.के. पारीक और ओर्गनइजिंग सेक्रेटरी डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के एक सत्र में लीवर को लेकर चर्चा की गई, कि किस प्रकार लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है तथा किस प्रकार इसका निदान और चिकित्सा होती है। जेएनएलयू के सीनियर प्रॉफेसर एण्ड हेड ऑफ डिपार्टमेंट हिपेटोलॉजी, डॉ. शिव सरीन ने ‘हार्ट ऑफ लीवर‘ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि देश में असेहतकारी खान-पान और आलसी जीवनशैली के चलते महिला और पुरुषों में फैटी लिवर की शिकायत रहती है। फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और इससे करीब 30 प्रतिशत भारतीयों के प्रभावित होने का अनुमान है। इसके लिए नो-फैटी डायट, ओवर वेट होने से बचना तथा असंतुलित खानपान नहीं करना है। एक अध्यन के अनुसार जिस पुरुष की कमर का घेरा 90 सेमी और महिला की कमर का घेरा 80 सेमी हो वह इस रोग से बच सकता है।
गौरतलब है कॉन्फ्रेंस के औपचारिक उद्घाटन समारोह के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन ग्लासगो अवार्ड डॉ. पुनीत सक्सेना को दिया। इसका आलावा कोटा के डॉ. के.के. पारीक और कोयम्बटूर के डॉ. मुर्गनाथन को वर्ष 2021 का डॉ. जीवराज मेहता अवॉर्ड और डॉ. सुधीर भंडारी को चिकित्सा क्षेत्र में कार्य के लिये विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया। इस सम्मान के तहत दोनों चिकित्सकों को स्वर्णपदक और प्रमाण पत्र दिया गया।
ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि सम्मेलन में अनेक विषयों पर शोध पत्र और व्याख्यान प्रस्तुत किए गए जिसमें डॉ. सुधीर भण्डारी, डॉ. अशोक सेठ, डॉ. राजेश उपाध्याय, डॉ. शंशाक जोशी, डॉ. नारायण रेड्डी एवं अन्य चिकित्सक प्रमुख थे। इसके अलावा पिछले दो दिनों में 11 कार्यशालाएं, पोस्टर विमोचन तथा प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। डॉ. अभिषेक अग्रवाल, सीनियर कंसलटेंट, डॉ. एस. एस. दरिया, सीनियर कंसलटेंट, डॉ. अरविंद पालावत, असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ. सुरेश यादव एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
हायपरटेंशन से बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी
ओर्गनइजिंग चेयरमैन, डॉ. के.के.पारीक और ओर्गनइजिंग को-चेयरमैन, डॉ. गिरीश माथुर ने एक सत्र में मैनेजमेंट ऑफ रिफेक्टरी हायपरटेंशन विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज हायपर टेंशन एक आम रोग है जिसका सबसे बड़ा कारण लाइफ स्टाइल है। इस रोग से बचने के लिए जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। प्राथमिक तौर पर यह एक पॉलीजेनिक रोग है जो बिहेवियरल और एनवायमेंट फैक्टर्स के कारण होती है। आज के दौर में इस रोग से पीड़ित 40 प्रतिशत रोगी ऐसे है जो एक समय बाद इसकी प्रतिरोधी दवाएं लेना बंद कर देते है जो कि ऐसी स्थिति में और भी घातक है। दूसरा कारण है इनकरेक्ट बीपी मैनेजमेंट लोग घर पर ही अपना ब्लड प्रेशर देख कर उसके अनुसार दवाएं लेते हैं। ब्लडप्रेशर की जांच निश्चित तौर पर किसी चिकित्सक की क्लीनिक में करवाना जरूरी है।
इम्यूनिटी एण्ड रोल ऑफ विटामिन सी
पद्मश्री डॉ. शशांक जोशी ने अपने सत्र में इम्यूनिटी एण्ड रोल ऑफ विटामिन सी विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कुल विटामिन सी जन्मजात और अनुकूलित प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों के सेलुलर कार्यों पर लाभकारी प्रभाव डालता है। हालांकि विटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो शरीर को अंतर्जात और बहिर्जात ऑक्सीडेटिव चुनौतियों से बचाता है, यह संभावना है कि कई बायोसिंथेटिक और जीन नियामक एंजाइमों के लिए एक सहकारक के रूप में इसकी क्रिया, इसके प्रतिरक्षा-मॉड्यूलेटिंग प्रभावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विटामिन सी संक्रमण के स्थल पर न्यूट्रोफिल प्रवास को उत्तेजित करती है।
भारत में डायबिटीज केयर की स्थिति
अहमदाबाद से आए प्रख्यात डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. बंसी साबू ने एक सत्र में ‘‘डायबिटीज केयर इन इण्डिया...वेयर वी वर, वेयर वी आर‘ विषय पर चर्चा में बताया कि यदि हम विगत 30 वर्षो के आंकडों पर गौर करे तो कई रोगों का जनक डायबिटीज भारत में बढ़ता ही जा रहा है। अध्ययन के मुताबिक वर्तमान में 77 मिलियन और यदि इसका प्रॉपर मैनेजमेंट नहीं किया तो वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा 100.95 मिलियन और साल 2045 तक 134.29 मिलियन तक पहुंच सकता है। जरूरी है कि हम अपने खान पान पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम और तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें। इसके लिए आम नागरिकों तथा चिकित्सकों को मिल कर प्रयास करने होंगे।
कॉलेस्ट्रॉल और आपका शरीर
राजस्थान हॉस्पिटल जयपुर के सीनियर कन्सलेटेंट डॉ. अरविंद गुप्ता ने कॉलेस्ट्राल असंतुलन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि बेड कॉलेस्ट्रॉल कहे जाने वाले एलडीएल और ट्राईग्मिराइड के अधिक हो जाने की वजह से हृदय रोग, अटैक, एंजाइना, तथा कॉर्डियोवास्कुलर डिजीज का खतरा रहता है। एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम, ब्रिस्कवॉक और संतुलित आहार जरूरी है। डॉ. गुप्ता ने कहा इन सबसे अधिक यह है कि खुशी का हारमोन होना जरूरी है जिसके लिए कोई दवा नहीं है इसके लिए तो नियमित 45 मिनट ब्रिस्क वॉक करना जरूरी है। ऐसा होने पर किसी प्रकार की डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है।
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