संशोधित कीमतों में भी पहले के समान ही सरकार वसूल रही है वैट जयपुर। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (आरपीडीए) का कहना है कि ...
जयपुर। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (आरपीडीए) का कहना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी होने के कारण राज्य सरकार को वैट में नुकसान होने की बात तथ्यों से परे हैं। केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी अपने कोटे से कम की है लिहाजा संशोधित कीमत पर ही राज्य सरकार वैट वसूल करेगी। यदि केन्द्र सरकार कीमत कम करने की बजाय बढ़ाती तो बढ़ी हुई कीमतों पर वैट लगता। लिहाजा यह कहना गलत है कि केन्द्र की ओर पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने की वजह से राज्य को वैट में भारी नुकसान हुआ
है। आरपीडीए ने उस आंकड़े को भी सिरे से खारिज कर दिया जिसके तहत बताया गया था कि सरकार पेट्रोल की कीमतों में कमी होने के कारण राज्य सरकार को 2.70 रुपए प्रति लीटर वैट का नुकसान हुआ है। राज्य सरकार इस समय पेट्रोल पर 31.04 और डीजल पर 19.30 वूसल कर पूरे देश में सर्वाधिक बताया जा रहा है। माना यह भी जाता है कि राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट से राज्य को सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ती होती है। अगर सरकार एक्साइज ड्यूटी के अनुपात में वैट में कटौति कर दे तो तो सरकार को रेवेन्यू में भारी नुकसान होगा।
यूं समझें गणित
• एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित बगई ने कहा कि सरकार की ओर से पेट्रोल में 2.70 रुपए प्रति लीटर वैट का नुकसान होने वाली बात गले उतरने वाली नहीं है। वैसे देखा जाए तो एक साल के आंकड़े ये बताते हैं कि सरकार को वैट से उल्टी कमाई हुई है न कि नुकसान। बगई ने बताया कि 1 अप्रेल 2021 से 22 मई 2022 तक पेट्रोल में 32 रुपए 22 पैसे की बढ़ोतरी हुई है जब कि इस दरम्यान 20.83 रुपए की कमी की गई है। यानी कि कुल मिलाकर पेट्रोल की कीमतों में साढ़े 11 रुपए की ओवरऑल बढ़ोतरी हुई है। इन साढ़े 11 रुपए का बढ़ा हुआ वैट राज्य सरकार के खाते में गया है। प्रतिशत वैट इसी तरह 1 अप्रैल 2021 से 22 मई 2022 तक डीजल के दामों में 30.80 रुपए की बढ़ोतरी 26.31 रुपए की कमी आई है। यानी कि यहां भी बढ़ोतरी रही है। जो का पलड़ा ज्यादा भारी है। लिहाजा यहां भी बढ़ी हुई रेट की वजह से बढ़ा हुआ वैट भी सरकार की जेब में ही गया है। बगई के अनुसार सरकार को नुकसान तब होता जब सरकार अपने कोटे से वैट में कमी करती जैसा कि राज्य सरकार ने 2021-22 के बजट में किया था। उस समय सरकार ने डीजल और पट्रोल क्रमशः पर 2-2 प्रतिशत वैट में कटौति की थी। हालांकि सरकार ने इससे पहले 4 प्रतिशत का वैट में इजाफा किया था, लेकिन की गई कमी कोई मायने नहीं रखती। वैसे भी तेल कंपनियों ने वैट में कमी होने के तीन माह बाद ही टुकड़ों में पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफा करके इन कमी को बेअसर कर दिया था।
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