नई दिल्ली, 06 जुलाई, 2023: 'शुद्ध शून्य के मार्ग पर तेज़ी से बढ़ने के लिए भारत को नई नीतियां जैसे कार्बन प्राइसिंग, आधुनिक तकनीकें जैसे का...
नई दिल्ली, 06 जुलाई, 2023: 'शुद्ध शून्य के मार्ग पर तेज़ी से बढ़ने के लिए भारत को नई नीतियां जैसे कार्बन प्राइसिंग, आधुनिक तकनीकें जैसे कार्बन कैप्चर युटिलाइज़ेशन एण्ड स्टोरेज (सीसीयूएस) को अपनाना होगा तथा इलेक्ट्रिक परिवहन की दिशा में अपने प्रयासों को तेज़ करना होगा। मुझे खुशी है कि ऑयल एण्ड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड सीसीयूएस की दिशा में प्रयासरत है।' मिसाइल टेक्नोलॉजी एवं डीफेन्स रीसर्च के विशेषज्ञ, पद्म भूषण डॉ विजय कुमार सारस्वत ने कहा। वे 4 जुलाई को नई दिल्ली के स्कोप कॉम्प्लेक्स में आयोजित 11वें सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर के दौरान 'सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांज़िशन (स्थायी ऊर्जा बदलाव) पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे।
11वें सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ वीके सारस्वत
प्रतिष्ठित सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर का आयोजन युनाईटेड नेशन्स ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया (यूएन जीसीएनआई), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और ऑयल एण्ड नैचुरल गैस कॉपोर्रेशन (ओएनजीसी) द्वारा किया गया। जिसमें नीति (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफोर्मिंग इंडिया) आयोग के सदस्य एवं जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी के चांसलर डॉ विजय कुमार सारस्वत मुख्य प्रवक्ता थे।
''हमें इस गलत अवधारणा को दूर करना होगा कि भारत जैसे विकासशील देशों पर विश्वस्तरीय ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का बड़ा बोझ है। वास्तव में 1850-2021 के दौरान भारत का योगदान 4 फीसदी से भी कम रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में 25 फीसदी योगदान देती है, वहीं कार्बन कैप्चर एण्ड स्टोरेज तथा कार्बन कैप्चर एण्ड युटिलाइज़ेशन इंडस्ट्रीज़ की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, जो 6 फीसदी योगदान देते हैं।'' डॉ सारस्वत ने कहा।
इन प्रयासों के पैमाने को देखते हुए 100 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक निवेश की आवश्यकता है। ''शुद्ध शून्य के पथ पर बढ़ने के लिए भारत को कार्बन प्राइसिंग जैसी नई नीतियां, सीसीयूएस जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा, इलेक्ट्रिक परिवहन, हरित स्टील एवं अन्य स्थायी प्रथाओं को अपनाना होगा।'' डॉ सारस्वत ने कहा। उन्होंने कहा कि ओएनजीसी शुद्ध शून्य की दिशा में भारत की यात्रा के लिए प्रतिबद्ध है और पूरी तरह से सीसीयूएस प्रयासों में सक्रिय है। भारत के स्थायी भविष्य के पथ पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
डॉ वी के सारस्वत 11वें सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर के दौरान ओएनजीसी के चेयरमैन एवं सीईओ अरूण कुमार सिंह और अन्य दिग्गजों के साथ
पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण क्षरण जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। डॉ सारस्वत ने हरित एवं स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए स्थायी ऊर्जा के महत्व पर रोशनी डाली।
सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर, ऊर्जा सेक्टर के दूरदृष्टा दिग्गज स्वर्गीय सुबीर राहा की याद में आयोजित किया जाता है। इसमें जाने-माने व्यक्तित्व राष्ट्रीय एवं विश्वस्तरीय महत्व के मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। लैक्चर का 11वां संस्करण एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम रहा, जिसमें डॉ विजय कुमार सारस्वत ने स्थायी ऊर्जा पर अपने विचारों एवं अनुभवों को साझा किया।
11वें सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ वीके सारस्वत
प्रतिष्ठित सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर का आयोजन युनाईटेड नेशन्स ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया (यूएन जीसीएनआई), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और ऑयल एण्ड नैचुरल गैस कॉपोर्रेशन (ओएनजीसी) द्वारा किया गया। जिसमें नीति (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफोर्मिंग इंडिया) आयोग के सदस्य एवं जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी के चांसलर डॉ विजय कुमार सारस्वत मुख्य प्रवक्ता थे।
''हमें इस गलत अवधारणा को दूर करना होगा कि भारत जैसे विकासशील देशों पर विश्वस्तरीय ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का बड़ा बोझ है। वास्तव में 1850-2021 के दौरान भारत का योगदान 4 फीसदी से भी कम रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में 25 फीसदी योगदान देती है, वहीं कार्बन कैप्चर एण्ड स्टोरेज तथा कार्बन कैप्चर एण्ड युटिलाइज़ेशन इंडस्ट्रीज़ की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, जो 6 फीसदी योगदान देते हैं।'' डॉ सारस्वत ने कहा।
इन प्रयासों के पैमाने को देखते हुए 100 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक निवेश की आवश्यकता है। ''शुद्ध शून्य के पथ पर बढ़ने के लिए भारत को कार्बन प्राइसिंग जैसी नई नीतियां, सीसीयूएस जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा, इलेक्ट्रिक परिवहन, हरित स्टील एवं अन्य स्थायी प्रथाओं को अपनाना होगा।'' डॉ सारस्वत ने कहा। उन्होंने कहा कि ओएनजीसी शुद्ध शून्य की दिशा में भारत की यात्रा के लिए प्रतिबद्ध है और पूरी तरह से सीसीयूएस प्रयासों में सक्रिय है। भारत के स्थायी भविष्य के पथ पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
डॉ वी के सारस्वत 11वें सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर के दौरान ओएनजीसी के चेयरमैन एवं सीईओ अरूण कुमार सिंह और अन्य दिग्गजों के साथ
पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण क्षरण जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। डॉ सारस्वत ने हरित एवं स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए स्थायी ऊर्जा के महत्व पर रोशनी डाली।
सुबीर राहा मैमोरियल लैक्चर, ऊर्जा सेक्टर के दूरदृष्टा दिग्गज स्वर्गीय सुबीर राहा की याद में आयोजित किया जाता है। इसमें जाने-माने व्यक्तित्व राष्ट्रीय एवं विश्वस्तरीय महत्व के मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। लैक्चर का 11वां संस्करण एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम रहा, जिसमें डॉ विजय कुमार सारस्वत ने स्थायी ऊर्जा पर अपने विचारों एवं अनुभवों को साझा किया।
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