मुंबई,12 जुलाई, 2023 : सैनोफी हेल्थकेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने आज यह घोषणा की है कि कंपनी को वयस्कों में मध्यम से गंभीर एटोपिक डर्मेटाइट...
मुंबई,12 जुलाई, 2023 : सैनोफी हेल्थकेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने आज यह घोषणा की है कि कंपनी को वयस्कों में मध्यम से गंभीर एटोपिक डर्मेटाइटिस के इलाज के लिए पहली जैविक दवा, डुपिक्सेंट® (डुपिलुमैब) की मार्केटिंग का अधिकार मिल गया है। यद दवा उन मरीजों के लिए फायदेमंद होगी, जिनके रोग को उनकी मौजूदा प्रिसक्रिप्शन थैरेपी से पूरी तरह कंट्रोल नहीं किया जा सकता है या जब मौजूदा थैरेपी का प्रयोग बीमारी से जूझ रहे मरीजों पर करने की सलाह नहीं दी जाती। डुपिक्सेंट® का प्रयोग मौजूदा इलाज के साथ भी और इसके बिना भी किया जा सकता है।
डुपिक्सेंट® ने दुनिया भर में डर्मेटाइटिस के मरीजों के इलाज के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। यह दवा इस बीमारी में रोग प्रतिरोधक प्रणाली को पूरी तरह दबाने की जगह त्वचा पर होने वाली टाइप 2 इनफ्लैमेशन पर असर डालती है।
श्री अनिल रैना, जनरल मैनेजर, सैनोफी स्पेश्यिलिटी केयर (इंडिया) ने कहा, "भारत में डुपिक्सेंट® की बिक्री का अधिकार मिलना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि अब अब हमारे पास देश भर में मौजूद एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीजों के लिए अपनी श्रेणी में पहली और बेहतरीन मेडिकल थैरेपी है। इस दवाई को अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, जापान समेत 60 देशों में एटोपिक डर्मेटाइटिस के साथ त्वचा के एक या ज्यादा रोगों के इलाज के लिए मान्यता मिली है। डुपिक्सेंट® भारत की पहली और इकलौती ऐसी जैविक दवा है, जिसने इस बीमारी के लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। त्वचा की इस मुश्किल से काबू में आने वाली बीमारी के रोगियों को यह दवा एक बेहतरीन जीवन जीने की राह दिखाती है।"
एटोपिक डर्मेटाइटिस एक तरह का एग्जिमा है जोकि क्रॉनिक टाइप 2 इनफ्लैमेशन बीमारी है। इसके लक्षण अधिकतर स्किन पर लाल रंग के दाने के रूप में दिखाई देते हैं। मध्यम से गंभीर डर्मेटाइटिस में अक्सर पूरे शरीर की त्वचा पर लाल रंग के दाने और चकत्ते हो जाते हैं। इस रोग में तेज और लगातार खुजली तथा त्वचा पर सूखापन, दरारें, त्वचा का लाल होना, पपड़ी और जलन से पैदा हुए घावों से होने वाला रिसाव शामिल है।
डॉ. शालिनी मेनन कंट्री मेडिकल लीड सैनोफी (इंडिया) ने कहा, "भारत के 2 से 8 फीसदी वयस्क एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीज हैं। भारत में इस बीमारी के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ने का ट्रेंड देखा जा रहा है। इनमें से कई मरीज मौजूदा समय में उपलब्ध दवाइयों से अपनी बीमारी पर कंट्रोल नहीं कर पाते। त्वचा में खुजली होना इस रोग के मरीजों की सबसे बड़ी परेशानी है। कई बार यह मरीजों के लिए काफी असहनीय हो जाता है। मध्यम से गंभीर डर्मेटाइटिस के रोग से जूझ रहे लोग बीमारी के असहनीय लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। इससे उनकी जीवनशैली पर प्रभाव पड़ सकता है, रात में नींद न आने की समस्या हो सकती है, बेचैनी और डिप्रेशन बढ़ सकता है। लंबे समय तक इस बीमारी के दिखने वाले घाव मरीजों के लिए सामाजिक तौर पर बदतर स्थिति पैदा करते हैं। स्टडीज के माध्यम से डुपिक्सेंट® ने साबित किया है कि यह त्वचा को साफ रखने, लगातार होने वाली खुजली को कम करने और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षा देने की कसौटी पर खरे उतरने के वादे के साथ उनकी पूरी जीवनशैली को बेहतर बनाती है।
दुनियाभर में 600,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज डुपिक्सेंट® से किया गया है। अब भारत में वयस्कों को होने वाले मध्यम से गंभीर एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीजों के इलाज के लिए भी डुपिक्सेंट® एक विकल्प के रूप में जल्द ही उपलब्ध होगी। डुपिलुमैब को एक वैश्विक सहयोग अनुंबध के तहत सैनोफी और रिजेनेरॉन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।
डुपिक्सेंट® ने दुनिया भर में डर्मेटाइटिस के मरीजों के इलाज के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। यह दवा इस बीमारी में रोग प्रतिरोधक प्रणाली को पूरी तरह दबाने की जगह त्वचा पर होने वाली टाइप 2 इनफ्लैमेशन पर असर डालती है।
श्री अनिल रैना, जनरल मैनेजर, सैनोफी स्पेश्यिलिटी केयर (इंडिया) ने कहा, "भारत में डुपिक्सेंट® की बिक्री का अधिकार मिलना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि अब अब हमारे पास देश भर में मौजूद एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीजों के लिए अपनी श्रेणी में पहली और बेहतरीन मेडिकल थैरेपी है। इस दवाई को अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, जापान समेत 60 देशों में एटोपिक डर्मेटाइटिस के साथ त्वचा के एक या ज्यादा रोगों के इलाज के लिए मान्यता मिली है। डुपिक्सेंट® भारत की पहली और इकलौती ऐसी जैविक दवा है, जिसने इस बीमारी के लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। त्वचा की इस मुश्किल से काबू में आने वाली बीमारी के रोगियों को यह दवा एक बेहतरीन जीवन जीने की राह दिखाती है।"
एटोपिक डर्मेटाइटिस एक तरह का एग्जिमा है जोकि क्रॉनिक टाइप 2 इनफ्लैमेशन बीमारी है। इसके लक्षण अधिकतर स्किन पर लाल रंग के दाने के रूप में दिखाई देते हैं। मध्यम से गंभीर डर्मेटाइटिस में अक्सर पूरे शरीर की त्वचा पर लाल रंग के दाने और चकत्ते हो जाते हैं। इस रोग में तेज और लगातार खुजली तथा त्वचा पर सूखापन, दरारें, त्वचा का लाल होना, पपड़ी और जलन से पैदा हुए घावों से होने वाला रिसाव शामिल है।
डॉ. शालिनी मेनन कंट्री मेडिकल लीड सैनोफी (इंडिया) ने कहा, "भारत के 2 से 8 फीसदी वयस्क एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीज हैं। भारत में इस बीमारी के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ने का ट्रेंड देखा जा रहा है। इनमें से कई मरीज मौजूदा समय में उपलब्ध दवाइयों से अपनी बीमारी पर कंट्रोल नहीं कर पाते। त्वचा में खुजली होना इस रोग के मरीजों की सबसे बड़ी परेशानी है। कई बार यह मरीजों के लिए काफी असहनीय हो जाता है। मध्यम से गंभीर डर्मेटाइटिस के रोग से जूझ रहे लोग बीमारी के असहनीय लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। इससे उनकी जीवनशैली पर प्रभाव पड़ सकता है, रात में नींद न आने की समस्या हो सकती है, बेचैनी और डिप्रेशन बढ़ सकता है। लंबे समय तक इस बीमारी के दिखने वाले घाव मरीजों के लिए सामाजिक तौर पर बदतर स्थिति पैदा करते हैं। स्टडीज के माध्यम से डुपिक्सेंट® ने साबित किया है कि यह त्वचा को साफ रखने, लगातार होने वाली खुजली को कम करने और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षा देने की कसौटी पर खरे उतरने के वादे के साथ उनकी पूरी जीवनशैली को बेहतर बनाती है।
दुनियाभर में 600,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज डुपिक्सेंट® से किया गया है। अब भारत में वयस्कों को होने वाले मध्यम से गंभीर एटोपिक डर्मेटाइटिस के मरीजों के इलाज के लिए भी डुपिक्सेंट® एक विकल्प के रूप में जल्द ही उपलब्ध होगी। डुपिलुमैब को एक वैश्विक सहयोग अनुंबध के तहत सैनोफी और रिजेनेरॉन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।
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