जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एम.एम. श्रीवास्तव एवं न्यायाधिपति श्रीमती शुभा मेहता द...
जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एम.एम. श्रीवास्तव एवं न्यायाधिपति श्रीमती शुभा मेहता द्वारा ओमप्रकाश सोलंकी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए दण्ड के रूप में 25,000/- रूपये का हर्जाना भी लगाया गया है।
ओमप्रकाश सोलंकी जो कि पेशे से एक वकील है, उन्होनें श्रीमती दीया कुमारी एवं प्रेमचन्द बैरवा को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाये जाने को एक जनहित याचिका दायर कर राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर मे चुनौती दी थी। इस याचिका में भारत सरकार को भी एक पक्षकार बनाया गया था और रिट याचिका की अग्रिम प्रति नियमानुसार भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के कार्यालय में दी गई थी।
भारत सरकार की ओर से उपस्थित हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर यह तर्क दिया कि यह याचिका बिल्कुल बेसूद और दुर्भावना से प्रेरित है। रस्तोगी ने न्यायालय को यह भी बताया कि संविधान में जो शपथ का प्रपत्र दिया गया है उसकी पूर्ण पालना की गई है परन्तु केवल मात्र उप मुख्यमंत्री लिखने से शपथ अवैद्य नहीं होती है। श्री रस्तोगी ने अपने तर्को के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और कई उच्च न्यायालयों के बहुत सारे न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किये। न्यायालय ने श्री रस्तोगी के तर्को से सहमत होकर और उन न्यायिक दृष्टांतों को अपने निर्णय में समाहित कर उक्त रिट याचिका खारिज कर दी और यह निर्णय भी दिया कि आज कल जनहित याचिकाओं का बहुत अधिक दुरूपयोग हो रहा है और वर्तमान मामला भी उसी श्रेणी में आता है जो कि बिल्कुल बेसूद और बिना किसी आधार के है। न्यायालय ने ओमप्रकाश सोलंकी जो कि व्यक्तिशः न्यायालय में उपस्थित हुए थे, के तकों को अस्वीकार करते हुए रिट याचिका खारिज कर 25,000/- रूप्ये का जुर्माना भी श्री ओमप्रकाश सोलंकी पर लगाया है।
इस प्रकार न्यायालय द्वारा यह निर्णय देने के कारण उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को बहुत बड़ी राहत मिली है।
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