कुरैशी समाज में बढ़ा शरई तरीके से शादियां करने का चलन जयपुर। अगर समाज मे बदलाव लाना हो तो उसकी शुरुआत अपने घर से की जाती है यह...
जयपुर। अगर समाज मे बदलाव लाना हो तो उसकी शुरुआत अपने घर से की जाती है यही सोच एक बार जयपुर में देखने को मिली जहाँ कुरैशी समाज के ज़िम्मेदार आदर्श नगर निवासी इकबाल कुरैशी ने अपनी बेटी की शादी नईमुद्दीन कुरैशी के बेटे से तय की.... लेकिन इस शादी में खास बात ये रही कि लड़के वालों ने बिना देहज लिए सिर्फ 11 हज़ार रु मेहर में निकाह कबूल किया।
गौरतलब है कि मुस्लिम समाज में कुरैशी बिरादरी के शादी समारोह के आयोजनों में दहेज प्रथा एवं फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाने का चलन चल पड़ा है। इस सिलसिले में दूल्हा व दुल्हन पक्ष आपस में सहमति कर ना दहेज, ना खाना, और ना ही किसी बड़े मैरिज गार्डन में समारोह करने की नीति को अपना रहे हैं। जिसके चलते मस्जिद में निकाह व आने वाले मेहमानों की खिजूर व शरबत के साथ मेहमान नवाजी कर दुल्हन को घर से रुखसत कर शरई तरीका अपना रहे हैं।
इसी कड़ी में आज यहां आदर्श नगर क्षेत्र में मस्जिद ए हमजा में मरहूम हाजी सलीमुद्दीन मेंबर साहब के पोते एडवोकेट मोहम्मद सुआले कुरैशी तथा मरहूम हाजी कबीरूद्दीन साहब की पोती आलिमा आयशा बानो का निकाह शरई तरीके से हुआ। निकाह की रस्म मुफ्ती ए जयपुर शहर मुफ्ती अमजद अली साहब ने अदा करवाई। मस्जिद में निकाह के बाद तमाम मेहमानों को खिजूर व शरबत पेश कर मेहमान नवाजी की गई। दूल्हे के पिता हाजी नईमुद्दीन साहब व दुल्हन के पिता हाजी मोहम्मद इकबाल साहब ने तमाम मेहमानों का तहे दिल से इस्तकबाल किया तथा सभी से आग्रह किया कि वे शादियों में फिजूल खर्ची पर पाबंदी लगाएं तथा बच्चों की तालीम पर खर्च करें।
दुल्हन आयशा बानो के भाई एवं वरिष्ठ युवा कांग्रेस नेता असरार अहमद कुरैशी ने कहा कि समाज में बढ़ती सामाजिक कुरीतियों के कारण बहुत सारी बच्चियों की शादी समय पर नहीं होने के कारण उनके घर वाले बड़े परेशान रहते हैं तथा कर्ज लेकर शादियां करते हैं, जो कि जीवन भर कर्ज के बोझ से दबे रहते हैं। समाज के वरिष्ठ जनों को चाहिए कि वे आगे आकर ऐसी पहल करें और फिजूल खर्ची पर पाबंदी लगाते हुए बच्चों की शिक्षा पर खर्च करें तथा शादियों में शरई तरीका अपनाते हुए नो दहेज, नो गार्डन, नो डिनर की नीति पर कार्य करें।
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