हैदराबाद। इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन (आईजेयू) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के तहत सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक्ट...
हैदराबाद। इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन (आईजेयू) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के तहत सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक्ट में किए गए बदलावों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संघ का मानना है कि निजता की सुरक्षा के नाम पर सरकार लोगों के सूचना के अधिकार को कम करने का प्रयास कर रही है।
शुक्रवार को जारी एक बयान में आईजेयू के अध्यक्ष के. श्रीनिवास रेड्डी और महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि डीपीडीपी एक्ट के तहत आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) (जे) में किया गया संशोधन प्रभावी रूप से आरटीआई एक्ट को कमजोर कर देगा, जिससे नागरिकों का सशक्तिकरण कम होगा। राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त डीपीडीपी एक्ट नियमों के अधिसूचित होने के बाद लागू होगा।
एक्ट में किया गया एक महत्वपूर्ण बदलाव आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(जे) से संबंधित है, जो सार्वजनिक हित में व्यक्तिगत जानकारी के खुलासे की अनुमति देता था। संशोधित प्रावधान इस अनुमति को समाप्त कर देता है। इसके अतिरिक्त, डीपीडीपी एक्ट आरटीआई एक्ट के उस प्रावधान को भी हटाता है जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि "जो जानकारी संसद या राज्य विधानमंडल को देने से इनकार नहीं की जा सकती, उसे किसी व्यक्ति को देने से इनकार नहीं किया जा सकता।"
आईजेयू नेताओं ने जोर देकर कहाकि वर्तमान आरटीआई एक्ट पहले से ही लोगों के निजता के अधिकार का पर्याप्त ध्यान रखता है। उन्होंने चेतावनी दी कि धारा 8(1)(जे) में बदलाव कानून को अप्रभावी बना देगा, क्योंकि जनता को भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंचने से रोका जा सकेगा।
आईजेयू ने इस कदम को प्रतिगामी बताते हुए सरकार से सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और जवाबदेही के हित में इस संशोधन को वापस लेने का आग्रह किया है। संघ का मानना है कि सूचना का अधिकार लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और इसे कमजोर करने से नागरिक सशक्तिकरण और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी।
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