कंपनी भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण और दुर्लभ खनिजों की ओर बढ़ रही है। उदयपुर, 25 अ...
कंपनी भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण और दुर्लभ खनिजों की ओर बढ़ रही है।
उदयपुर, 25 अगस्त 2025। अपनी 59वीं वार्षिक आम बैठक में, वेदांता समूह और विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने हिन्दुस्तान जिंक 2.0 के अपने दृष्टिकोण को सामने रखा। इस नई योजना के तहत कंपनी खुद को भारत के सबसे बड़े जिंक और सिल्वर निर्माता से एक मल्टी मेटल और भविष्य-केंद्रित उद्यम में बदल रही है।
शेयरधारकों को संबोधित करते हुए, चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि, Hindustan Zinc अब सिर्फ जिंक और सिल्वर से आगे बढ़कर एक मल्टी मेटल कंपनी बन रही है, जो भारत के भविष्य को सशक्त करेगी। क्लीन एनर्जी, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग को देखते हुए, हम देश के विकास को जिम्मेदारी से बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षमताओं और साझेदारियों का विस्तार कर रहे हैं।
हिन्दुस्तान जिंक अब कॉपर, लिथियम, निकल, कोबाल्ट, पोटाश और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खोज में सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। साथ ही, कंपनी नियोडिमियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट और जर्मेनियम में भी संभावनाएं तलाश रही है। यह कंपनी भारत की पहली निजी कंपनियों में से एक बन गई है, जिसने दुर्लभ मोनजाइट ब्लॉक हासिल किया है।
इस कार्य में तेजी लाने के लिए, हिन्दुस्तान जिंक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन के जरिए खोज के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी किए हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और चीन जैसे देशों से विशेषज्ञता ली जा रही है। ये प्रयास भारत के रणनीतिक खनिज पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेंगे और सरकार के श्क्रिटिकल मिनरल्स रोडमैप के अनुरूप हैं।
59वीं वार्षिक आम बैठक में, चेयरपर्सन ने यह भी बताया कि, हिन्दुस्तान जिंक को एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट, निफ्टी नेक्स्ट 50 और निफ्टी 100 सूचकांकों में शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाता है। इससे पहले, वित्तीय वर्ष 2025 में, कंपनी ने बाजार पूंजीकरण के आधार पर निफ्टी मेटल इंडेक्स में तीसरा स्थान हासिल किया और निफ्टी 200 इंडेक्स में शीर्ष 10 सबसे बड़े वेल्थ क्रियेटर में से एक बनकर उभरी।
हिन्दुस्तान जिंक आने वाले वर्षों में अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के लिए काम कर रही है। इसके तहत नई स्मेल्टिंग क्षमता और खदानों का विस्तार किया जा रहा है। दोगुना विकास रणनीति का पहला चरण शुरू हो चुका है, जिसमें राजस्थान के जिंक स्मेल्टर देबारी में 250 किलो टन प्रति वर्ष क्षमता के एक नए एकीकृत रिफाइंड मेटल स्मेल्टर में लगभग ₹12,000 करोड़ का निवेश किया गया है। साथ ही, कई स्थानों पर खदानों और मिलों का विस्तार किया जा रहा है। इसमें ₹3,823 करोड़ के निवेश से रामपुरा आगुचा खदानों में भारत की अपनी तरह की पहली टेलिंग्स रीप्रोसेसिंग परियोजना भी शामिल है, जिसकी क्षमता 10 मिलियन टन फीड है ताकि ऐतिहासिक टेलिंग्स से जिंक और सिल्वर निकाला जा सके।
मेटल्स के साथ-साथ, कंपनी राजस्थान में एक बड़े फर्टीलाइजर प्लांट में भी निवेश कर रही है, जो भारतीय कृषि को मजबूत करने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग करेगी। इस कदम से आयात पर निर्भरता कम होगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और भारत में किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक मिलेंगे।
वृद्धि के साथ-साथ, Hindustan Zinc सस्टेनेबिलिटी को भी अपने विकास का मुख्य हिस्सा बनाए हुए है। कंपनी के लगभग 13 प्रतिशत संचालन पहले से ही रिन्यूएबल एनर्जी से चल रहे हैं, और वित्तीय वर्ष 2028 तक इसे 70 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है। कंपनी ने 3.32 गुना वाॅटर पाजिटिव हासिल की है और लगातार दो वर्षों तक एसएण्डपी ग्लोबल सीएए 2024 द्वारा दुनिया की सबसे सस्टेनेबल मेटल और माइनिंग कंपनी के रूप में स्थान दिया गया है। हिन्दुस्तान जिंक इंटरनेशनल काॅन्सिल ऑन माइन एण्ड मेटल में शामिल होने वाली पहली भारतीय खनन कंपनी भी बनी, जो जिम्मेदार और सस्टेनेबल खनन में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करती है।
Hindustan Zinc 2.0 कंपनी के विकास का अगला चरण है, जो तीन स्तंभों पर आधारित है, मल्टी मेटल एंटरप्राईज के रूप में विस्तार, सस्टेनेबिलिटी एण्ड सर्कुलर इकाॅनोमी की प्रथाओं को शामिल करना। भविष्य के लिए तैयार टेक्नाॅलोजी और एक्सप्लोरेशन में निवेश। यह केवल बड़े होने के बजाय रणनीतिक और राष्ट्र निर्माण के विकास की दिशा में एक बड़ा बदलाव है, जो कंपनी को आत्मनिर्भर और विकसित भारत के केंद्र में रखता है।
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