'अगर कोई मानसिक अस्वस्थ है तो यह पागलपन नहीं है' यूनिसेफ और फ्यूचर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन जयपुर। विश...
यूनिसेफ और फ्यूचर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन
जयपुर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस से पूर्व बुधवार को यूनिसेफ राजस्थान और फ्यूचर सोसाइटी की ओर से रेडियो राउंडटेबल का आयोजन किया गया। इसमें एक्सपर्ट्स ने बताया कि आज मानसिक स्वास्थ्य बेहद जरूरी है। तनाव के कारण बीमारियां बढ़ रही है और व्यक्ति अवसाद में जा रहे हैं। कई बार लोग आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा रहे हैं। ऐसे में इस राउंडटेबल के जरिए रेडियो से जुड़े लोगों से आह्वान किया गया कि वह समाज के बीच मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पैदा करें। हमें लोगों को यह समझाना होगा कि यदि कोई मानसिक अस्वस्थ है तो यह पागलपन नहीं है। विधानसभा के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान में आयोजित इस कार्यक्रम में आकाशवाणी सहित विभिन्न रेडियो चैनल के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत में यूनिसेफ के रूषभ हेमानी ने वर्तमान समय में सुसाइड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में लोगों को इस अवसाद से निकालने में आरजे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वह समाज को संदेश दे सकते हैं कि सुसाइड के परिणाम कितने घातक होते हैं। उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ जैसे मुद्दे पर वर्कशॉप बहुत जरूरी है। वहीं, डॉ.अनिल अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति सुसाइड करता है तो उससे केवल एक परिवार को क्षति नहीं होती है, बल्कि समाज और देश भी प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में लगातार परिवर्तन हो रहा है तो यह मानसिक अवसाद की स्थिति हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से यदि कोई अस्वस्थ है तो हमें उस पर ध्यान देना चाहिए। डॉ.अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में हालात यह है कि यदि कोई मानसिक बीमारी से ग्रस्त है तो लोग उसे जज करने लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव में यदि किसी का जीवन व्यतीत हो रहा है तो वह भी जिंदगी को खोने जैसा ही है। इसलिए जरूरी है कि रिश्तों के बीच रहे और खुले रूप से संवाद किया जाए।
गांव के बच्चों में सुसाइड रेट कम:संजय
वहीं, यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ.संजय निराला ने कहा कि हमारे यहां मेंटल हेल्थ पर बात कम होती है। कई लोग मेंटल हेल्थ को पागलपन से जोड़ देते हैं, जो बेहद गलत है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य रिश्तों के कारण भी प्रभावित हो रहा है। पहले लोग परिवार में एक साथ रहते थे और आज एकाकी परिवार हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति तनाव की स्थिति का सामना नहीं कर पाता है। उन्होंने कहा कि हमने यह देखा है कि गांव के बच्चे सुसाइड कम करते हैं, जबकि शहरों में यह संख्या ज्यादा है। इसका एकमात्र कारण है कि गांव में व्यक्ति एक बड़े परिवार के बीच रहता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में कम से कम एक ऐसा दोस्त होना चाहिए, जिससे वह अपने दिल की बात कह सके और वह व्यक्ति उसकी बात सुनकर मदद करे। कार्यशाला के अंत में डॉ.मीना शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान फ्यूचर सोसायटी की उपाध्यक्ष रविता शर्मा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह पहल लगातार जारी रहेगी। इसी कड़ी में गुरूवार को मीडिया प्रतिनिधियों के साथ भी वर्कशॉप आयोजित की जाएगी।
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