चाइल्ड ट्रैफिकिंग एंड प्रोटेक्शन तथा जेजे एसीटी 2015 पर अपनी तरह की प्रथम वर्कशॉप जीआरपी/आरपीएफ अधिकारियों के लिये जयपुर में हुआ आयोजन प्रया...
- चाइल्ड ट्रैफिकिंग एंड प्रोटेक्शन तथा जेजे एसीटी 2015 पर अपनी तरह की प्रथम वर्कशॉप
- जीआरपी/आरपीएफ अधिकारियों के लिये जयपुर में हुआ आयोजन
- प्रयास जेएसी सोसायटी एवं वर्ल्ड विज़न इंडिया द्वारा आयोजित
जयपुर, 25 मार्च। सुरक्षा अधिकारियों के लिए आवश्यक है कि वे रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों, सड़कों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी बच्चों पहचानकर हैल्पलाइन, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) एवं ऐसे अन्य संगठनों की मदद से उनका बचाव करें। यह ना सिर्फ बच्चों के बचाव में मददगार होगा, बल्कि ऐसे बच्चों को जीवन का दूसरा अवसर भी देगा। प्रत्येक बच्चा प्यार एवं सम्मानजनक व्यवहार के साथ-साथ बेहतर भविष्य के लिए शिक्षित होने का हकदार भी होता है। यह कहना था राजस्थान के बाल अधिकारिता विभाग के निदेशक, निष्काम दिवाकर का। वे आज जयपुर के होटल विस्टा मौर्या पैलेस में 'चाइल्ड राइट्स एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफ गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) एंड जूवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन)' विषय पर आयोजित वर्कशॉप में सम्बोधित कर रहे थे। प्रयास जेएसी सोसायटी एवं वर्ल्ड विज़न इंडिया द्वारा आयोजित इस वर्कशॉप में अनेक रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) एवं गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) अधिकारी शामिल हुए।
इसके अतिरिक्त, दिवाकर ने बताया कि बाल संरक्षण पर एक 'कनवर्जेंट प्लान' प्रक्रिया में है। इस योजना में कानून, शिक्षा, श्रम विभाग और अन्य हितधारकों के विभिन्न सुझावों को शामिल किया जायेगा।
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), इंस्पेक्टर आरपीएफ, जीआरपी की जिम्मेदारियों की जानकारी देतेे हुए प्रयास जेएसी के शशांक शेखर ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत सभी जीआरपी एवं आरपीएफ कर्मचारियों को जानकारी देने, हितधारकों में जागरूकता उत्पन्न करने, रेलवे प्लेटफॉर्म्स के बाल सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने, एनजीओ को बच्चों का हस्तांतरण सुनिश्चित करने, विशेष किशोर पुलिस इकाई की कार्य भूमिका के बारे में जागरूक किए जाने की आवश्यकता है तथा सीसीटीवी सर्विलेंस फुटेज की समीक्षा करने के लिए नामित एनजीओ को अनुमति दिए जाने की भी जरूरत है।
उच्च न्यायालय के अधिवक्ता, महेश ने कहा कि बाल संरक्षण के मामलों में महिला अधिकारियों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। महिला अधिकारियों के साथ बातचीत करने में बच्चे अधिक सहज महसूस करते हैं। खोए हुए, छोड़ दिए गए तथा दुर्व्ययवहार के शिकार बच्चों के लिए महिला अधिकारी बहिन अथवा मां की तरह हो सकती हैं। अक्सर विशेष बच्चों को भी बचाया जाता है। इन बच्चों को ऐसे विशेष स्कूलों में ले जाने की जरूरत होती है, जहां प्रशिक्षित कर्मचारी बच्चे के साथ संवाद करने में मदद कर सकें और साक्ष्य एकत्रित करने में प्रभारी अधिकारी की मदद कर सकें।
चाइल्डलाइन जयपुर की निदेशक, सुश्री वर्षा जोशी ने कहा कि जब कोई अधिकारी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चों को देखता है जिनका गैरकानूनी सौदा किया जा रहा हो, तो ऐसे में उन्हें '1098 हैल्पलाइन' पर कॉल करना चाहिए। यह एक निःशुल्क और 24 घंटे चालू रहने वाली सेवा है, जो कमजोर बच्चों के हितों की रक्षा को समर्पित है। उन्होंने आगे बताया कि बच्चों का अवैध व्यापार करने वाले लोग अब बेहद सावधान हो गए हैं। ये लोग अब जयपुर पहुंचने से 2-3 स्टेशन पूर्व ही बच्चों को ट्रेन से नीचे उतारने लगे हैं और फिर जयपुर अथवा अन्य जिलों तक पहुंचाने के लिए बस अथवा कार से ले जाते हैं।
प्रयास जेएसी सोसायटी की लॉ ऑफिसर, एडवोकेट तुषिका अग्रवाल ने जानकारी दी कि राजस्थान में सर्वाधिक बाल श्रम होता है। रेस्क्यू किए गए बच्चों के लिए प्रयास द्वारा भारत भर में वर्तमान में 47 होम सेंटर और 247 कम्यूनिटी बेस्ड कौशल विकास केंद्र चलाए जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बाल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कानून एवं व्यवस्था तथा अन्य उपायों को समझाना इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य है।
इस अवसर पर वर्ल्ड विजन इंडिया के निदेशक, सैमसन बंटू द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। श्रम विभाग, जयपुर के संयुक्त श्रम आयुक्त, धर्मपाल सिंह भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रयास जेएसी सोसाइटी के राज्य परियोजना समन्वयक, राकेश कुमार तिवाड़ी; बाल कल्याण समिति, जयपुर के चेयरमेन, नरेश सिखवाल; पुलिस उप अधीक्षक, गवर्नमेंट रेल्वे पुलिस, जयपुर, नारायण लाल शर्मा द्वारा सम्बोधित किया गया। वर्कशॉप के समापन पर प्रयास जेएसी सोसाइटी, जयपुर के डॉक्यूमेंटेशन ऑफिसर, ए.बी. पॉल द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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FIRST-OF-ITS-KIND 'WORKSHOP ON CHILD TRAFFICKING AND PROTECTION AND JJ ACT 2015' FOR GRP/RPF PERSONNEL IN JAIPUR ORGANIZED BY PRAYAS JAC SOCIETY AND WORLD VISION
Jaipur, 25 March: It is essential for officers to identify children in rail stations, bus stations, roads, among other places and rescue them with the use of helpline, Child Welfare Committee (CWC) and other avenues. This will not only help save the child but also give them a second chance at life. Every child deserves to be treated with love and respect and be educated so as to have a better future. This was stated by Director, Department for Child Rights Rajasthan, Mr. Nishkam Diwakar. He was addressing the 'Workshop on Child Rights and Child Protection of (GRP) and The Juvenile Justice (Care & Protection), 2015 at Hotel Vesta Maurya Palace today. The workshop was also attended by several Railway Protection Force (RPF) and Government Railway Police (GRP) officers. The workshop was organised by Prayas JAC Society Jaipur.
Furthermore, Mr. Diwakar informed that a 'Convergent Plan' on child protection is in the process. This plan will have the collective inputs of the various Law, Education, Labour Department and various other stakeholders.
Highlighting the responsibilities of Station House Officer (SHO), Inspector RPF, GRP, Mr. Shashank Shekhar of Prayas JAC said that there is a need to brief all GRP/RPF personnel, create awareness among the stakeholders, ensure child protection measures on platforms, ensure production of child to NGO, discharge role of Special Juvenile Police Unit (SJPU) under Juvenile Justice Act and allow nominated NGO to review CCTV surveillance footage.
High Court Advocate, Mr. Mahesh said that the role of female officers is highly crucial in matters of child protection. Children feel more comfortable interacting with a female officer. They can be like a sister or mother to the lost, abandoned and abused child. Often special children are also rescued. These children need to be taken to special schools whose trained staff can help communicate with the child and aid the officer in charge of collecting evidence.
Director of Childline Jaipur, Ms. Varsha Joshi said that when an officer sees children in large numbers who are suspected of being trafficked, they need to call the '1098 Helpline'. It is a free and 24 hours service, dedicated to safeguarding the interests of vulnerable children. Traffickers have become very aware, they have started detraining the children from the train 2-3 stations before they reach Jaipur and then carry on buses or cars to reach the city and other districts.
Law Officer, Advocate Tushika Agarwal of Prayas JAC Society said that Rajasthan is the State with the highest child labour figures. Prayas currently has 47 home centres and 247 community based skill development centres all over India for rescued children. The objective of this workshop is to understand how law and order and apps can be used to promote child safety.
The welcome address was delivered by Director of World Vision India, Mr. Samson Bantu. Joint Labour Commissioner, Labour Department, Jaipur, Mr. Dharampal Singh was also present on the occasion.
Later, a panel discussion session was also organised by State Project Coordinator, Prayas JAC Society, Jaipur, Mr. Rakesh Kumar Tiwari; Chairman, Child Welfare Committee, Jaipur, Mr. Narendra Sikhwal and Deputy Superintendent of Police, Government Railway Police, Jaipur, Mr. Narayan Lal Sharma. The Vote of Thanks was delivered by Documentation Officer, Prayas JAC Society, Jaipur, Mr. A.B. Paul.
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