चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सैटेलाइट हाॅस्पिटल के निरीक्षण में मिलीं खामियां -चिकित्सा विभाग के विशिष्ट शासन सचिव एवं मिषन निदेषक ने किया निरीक्षण...
चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सैटेलाइट हाॅस्पिटल के निरीक्षण में मिलीं खामियां
-चिकित्सा विभाग के विशिष्ट शासन सचिव एवं मिषन निदेषक ने किया निरीक्षण
जयपुर, 22 अप्रेल। ढाई करोड़ की लागत से बने अस्पताल में चार स्त्रीरोग विशेषज्ञ (MS Gynae) और दो महिला चिकित्सक होते हुए इस वर्ष में मात्र 1 प्रसव, काम नहीं आ रहा आॅपरेशन थिएटर, शिशु रोग विशेषज्ञ होते हुए भी अस्पताल में न तो एनबीयूसी और न ही शिशु वार्ड! जोधपुर के चैपासनी हाउसिंग बोर्ड सैटेलाइट हाॅस्पिटल में सोमवार को किए गए निरीक्षण में चिकित्सा विभाग के विषिष्ट शासन सचिव एवं मिशन निदेशक डाॅ. समित शर्मा, निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ वीके माथुर, Dr Jalaj विजय स्टेट प्रोग्राम मैनेजर, डॉ उमेश शर्मा के जयपुर से आये संयुक्त निरीक्षण दल को आकस्मिक जांच में ऐसी कई गंभीर खामियां नजर आईं।
यहां एक सीनियर लैब तकनीशियन एवं 2 लैब सहायक होने के बावजूद पीएचसी के समान केवल 15 जांचें की जा रहीं थीं।
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लक्ष्य के साथ राजकीय चिकित्सा संस्थानों के किए जा रहे निरीक्षणों की श्रृंखला में सोमवार को प्रदेष स्तर की टीमों ने विभिन्न जिलों में स्थित चिकित्सा संस्थानों का सघन निरीक्षण किया।
नाम सैटेलाइट अस्पताल का, सेवाएं पी एच सी - सब सेंटर जैसी
जोधपुर में विभाग के विषिष्ट शासन सचिव एवं मिषन निदेषक एनएचएम के नेतृत्व में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सैटेलाइट हाॅस्पिटल में किए गए निरीक्षण में कई गंभीर खामियां सामने आईं।
मिशन निदेशक ने बताया कि सैटेलाइट हाॅस्पिटल में सुसज्जित वातानुकूलित लेबर रूम होने के बावजूद वर्ष 2017 में 9 एवम पिछले वर्ष यहां केवल पांच प्रसव कराए गए हैं एवं इस वर्ष की एकमात्र डिलीवरी 11 मार्च को हुई है, जबकि सब सेंटर पर कार्यरत एएनएम ही कहीं ज्यादा डिलीवरी प्रतिवर्ष करा लेती है।
उल्लेखनीय है कि इस सैटेलाइट हाॅस्पिटल में 4 स्त्रीरोग विशेषज्ञ (एमएस गायनी) डाॅ.हस्तीमल आर्य, डाॅ.कल्पना गोयल, डाॅ.श्वेता जिनगर एवं डाॅ. बसन्ती डाबी पदस्थापित हैं और 2 महिला चिकित्सक डाॅ.अनिता शर्मा (सर्जन) ओर मेडिकल आॅफिसर डाॅ. मंजुला व्यास कार्यरत हैं। जब साधारण डिलीवरी ही नहीं हो रही है तो सिजेरियन प्रसव का तो प्रश्न ही नहीं उठता। विशेषज्ञ चिकित्सकों को वीकली अपनी सेवाएं प्रसूता ओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए अन्यथा इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी भी मौके पर ही दी गई।
डाॅ.शर्मा ने बताया कि ढाई करोड़ की लागत से निर्मित यह भवन बहुत हद तक अनुपयोगी पड़ा है। यहां ऑपरेशन थिएटर और जनरल महिला वार्ड का उपयोग नहीं किया जा रहा और बिस्तर कभी काम नहीं आए। इनपर ताले जड़े हुए है।
केवल कुछ बेड्स पर डे-केयर वाले 3 मरीज जरूर दिखाई दे रहे थे। उन्होंने बताया कि दो शिशु रोग विशेषज्ञ होने के बावजूद नवजात की सघन देखभाल हेतु कोई एनबीएसयू या बच्चो के लिए षिषु वार्ड यहां नहीं है।
सबसे ज्यादा दुखद यह था कि तीन लैब तकनीषियन एवं लैब सहायक होने के बावजूद यहां केवल 15 जांचें ही उपलब्ध थीं जो एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ही हो जाती हैं।
आदतन देरी से आने वाली फार्मासिस्ट तृप्ति गोयल एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर वीरेंद्र को शो कॉज नोटिस जारी किया गया।
कमी संसाधनों कि नहीं इच्छा शक्ति की है
इसी अस्पताल के मेडिकल रिलीफ सोसायटी के खाते में लगभग 40 लाख रुपए अनुपयोगी पड़े हैं, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की सेवाओं उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक उपकरण, मैन पावर आदि के लिए किया जा सकता है।
सुबह निर्देश, शाम तक व्यवस्था
संसाधनों की कमी को देखते हुए इस संदर्भ में जयपुर से आए डॉ शर्मा ने एमडीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर एस एस राठौड़ से इस बारे में चर्चा की और तत्काल संसाधन उपलब्ध कराने का आग्रह किया जिससे अस्पताल का अधिकतम लाभ रोगियों को मिल सके। इस की अनुपालना में शाम को ही वहां सेमी ऑटो एनालाइजर मशीन उपलब्ध हो गई जिससे अब 18 तरह की खून की जांच यथा कोलेस्ट्रॉल , लिपिड प्रोफाइल , लिवर प्रोफाइल, किडनी प्रोफाइल आदि हो सकेंगी।
इसी प्रकार ऑपरेशन हेतु आवश्यक बॉय्ल्स अपेरटस भी उपलब्ध करा दिया गया है। साथ में principal Medical College Hospital द्वारा डॉ वैभव जैन, एनएसथेटिस्ट की सप्ताह में 2 दिन ड्यूटी इस अस्पताल में लगाई गई है जिससे जनरल सर्जरी , आंखों की सर्जरी , व गायनी के आवश्यक ऑपरेशन, सिजेरियन आदि हो सके।
जोधपुर संभाग के संयुक्त निदेशक डॉ युद्धवीर सिंह राठौड़ ने ईसीजी मशीन भी उपलब्ध करवाई है जिससे रोगियों की ईसीजी जांच यही की जाकर अस्पताल में पदस्थापित दो मेडिसिन विशेषज्ञों का लाभ भी रोगियों को मिल सके।
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