सत्य पारीक राज्य की दूसरी राजनीतिक राजधानी जोधपुर जिसने तीन मुख्यमंत्री दिये हैं एवं चौथे सम्भावित व भावी का जन्म इस चुनावी कोख से होने की ...
सत्य पारीक
राज्य की दूसरी राजनीतिक राजधानी जोधपुर जिसने तीन मुख्यमंत्री दिये हैं एवं चौथे सम्भावित व भावी का जन्म इस चुनावी कोख से होने की संभावना बनी है , लेकिन बाधा उत्पन्न की है बीजेपी के संभावित मुख्यमंत्री की दौड़ तथा प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ से पिछड़े केंद्रीय राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह उर्फ गज्जूबन्ना , जो यहीं से 2014 का लोकसभा चुनाव जीते थे जिनके 2019 के चुनाव में मुख्यमंत्री गहलोत की रणनीति ने चुनावी मैदान में झाग ला रखें हैं
गज्जूबन्ना की जीत में सीधी बधाए कई हैं लेकिन पहली बाधा उनके सामने मुख्यमंत्री पुत्र वैभव गहलोत का सक्रिय राजनीति में उतरने की पहली सीढ़ी का लोकसभा चुनाव है जो उनके युवा पीढ़ी का क्रेज है तथा शहरी क्षेत्रों में गहलोत के राजनीतिक वारिस के साथ साथ ' बेटे पोते भायले ' की क्लीन छवि है , गहलोत के कराए गये इस निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के सामने गज्जूबन्ना का राजनीतिक केरियर शून्य से शुरू हो कर शून्य तक सीमित है ।
इनके लिए जो स्वप्न जोधपुर की जनता ने गत विधानसभा चुनाव से पूर्व इनके बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बनने एवं भावी मुख्यमंत्री की केंद्रीय नेतृत्व ने बनाई थी जिसे वसुंधरा राजे ने अपना राजनीतिक वीटो का प्रयोग कर सपने सुहाने बना दिये थे उस तुषारपात ने मारवाड़ में भाजपा विरोधी वातावरण बनाया जो गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये वरदान साबित हुआ ।
जिसके दम पर गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ इसी तरह जोधपुर से गहलोत के पुत्र का लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाने का अवसर मिला , प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ के साथ भावी मुख्यमंत्री बनने के सपने बिखरने के बाद बुझे मन से गज्जूबन्ना चुनाव मैदान में है इस चुनाव में ना तो मोदी लहर है और न ही राज्य में भाजपा सरकार है इस कारण गज्जूबन्ना को केवल मोदी के थोथे भाषणों का ही चुनावी विजय प्राप्त करने का सहारा है जबकि वैभव को अपने पिता के विकास कार्यो व युवा होने के कारण विजय प्राप्त करने का पक्का भरोसा है ।
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