राहुल गांधी ने पीलीबंगा में आयोजित किसान महापंचायत में किसानों को स्टील कारण बताएं जिनके चलते हैं इस कशी कानून का विरोध किया जान...
राहुल गांधी ने पीलीबंगा में आयोजित किसान महापंचायत में किसानों को स्टील कारण बताएं जिनके चलते हैं इस कशी कानून का विरोध किया जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि इस कानून के चलते मंडियां खत्म हो जाएगी कालाबाजारी बढ़ जाएगी और किसान अपनी बात को लेकर कोर्ट में भी नहीं जा पाएगा।
गांधी ने कहा कि यह किसानों पर आक्रमण नहीं हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत जनता पर आक्रमण है। अगर यह तीन कानून लागू हुए तो किसान, छोटे व्यापारी, मजदूर सभी कोई कुछ कानून से नुकसान होगा।
नोटबन्दी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के घर से पैसा निकाला। नोटबंदी के नाम पर तीन चार लोगों का लाखों करोड़ों का लोन माफ किया गया।
जीएसटी के नाम पर छोटे व्यापारियों का व्यापार समाप्त कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मित्रों का रास्ता साफ करना चाहते हैं।
आज तक छोटे व्यापारियों को GST समझ नही आये, लाखों लोग बेरोजगार हो गए।
गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना कुछ प्लानिंग किए लॉकडाउन लगा दिया और लाखों मजदूर पैदल अपने घरों के लिए निकल पड़े। इसी लोक डाउन के दौरान करोड़ों रुपए का कर्जा फिर प्रधानमंत्री ने चुनिंदा लोगो का माफ कर दिया।
गांधी ने कहा कि इस देश में रोजगार किसान देता है ना कि दो-तीन बड़े उद्योगपति है छोटा व्यापारी लोगों को रोजगार देते हैं लेकिन उनको परेशान किया जा रहा है पूरे देश में बेरोजगारी फैलती जा रही है और नरेंद्र मोदी हर रोज नया बहाना बनाते हैं मेक इन इंडिया स्किल इंडिया।
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से बात करना चाहते हैं लेकिन अगर वह चाहे तो कानून खत्म करें तो बात करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
यह मुद्दा सिर्फ किसान का नही गरीबो का मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी किसान,गरीब,मजदूर के साथ है और इस कानून को रद्द करवा कर ही मानेंगे।
चीन की सेना ने हिंदुस्तान की हजारों किलोमीटर की जमीन कब्जा करने और हमारे सैनिकों को शहीद किया वहीं रक्षा मंत्री कल लोकसभा में कहते हैं कि समझौता हो गया और समझौता किस बात का हुआ समझौता यह हुआ कि नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने हिंदुस्तान की जमीन चीन को दे दी।
चाइना के सामने खड़े नही होंगे और किसानों को मारेंगे।pm मोदी की गलतफहमी है वो किसानों की मजदूरों की शक्ति नही पहचान नही रहे।
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