जयपुर लघु उद्योग एवं व्यापार महासंघ के बैनर तले विरोध कर रहे व्यापारियों ने पार्षद से लेकर मंत्री-सांसद को ज्ञापन सौंपकर लगाई गु...
जयपुर लघु उद्योग एवं व्यापार महासंघ के बैनर तले विरोध कर रहे व्यापारियों ने पार्षद से लेकर मंत्री-सांसद को ज्ञापन सौंपकर लगाई गुहार
जयपुर, 1 सितम्बर। नगर निगम जयपुर ग्रेटर की ओर से व्यापारियों पर लगाए जा रहे ट्रेड लाइसेन्स शुल्क का विरोध शुरू हो गया है। जयपुर लघु उद्योग एवं व्यापार महासंघ संस्था के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को निगम पार्षद से लेकर सांसद और राज्य सरकार के मंत्री-विधायकों से भेंटकर उन्हें अपनी समस्याओं और विभिन्न व्यापारिक उद्देश्यों का ज्ञापन सौंपा और निगम ट्रेड लाइसेन्स शुल्क वापस लेने की मांग की।
संस्था के अध्यक्ष प्रकाश चंद गुप्ता ने बताया कि जयपुर नगर निगम द्वारा फल सब्जी, रूई, ड्राईक्लीनर, बटन काज बनाने की मशीन से लेकर माल्स आदि के व्यापारियो पर ट्रेड लाइसेंस फीस के नाम से लगभग बीस हजार से पांच लाख रुपए तक का भारी टैक्स लगाया जा रहा है, जो कि कोरोना काल में चौपट हो चुके व्यवसायिक संस्थानों पर अतिरिक्त बोझ है। यह शुल्क राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 339 सहपठित धारा 105 के अन्तर्गत 5 नियम राजपत्रित किए गये हैं। जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा लघु व्यापार से लेकर सभी तरह की व्यापारिक गतिविधियों पर शुल्क लगाया गया है, जो अभी जयपुर ग्रेटर नगर निगम द्वारा चार्ज करने हेतु राजपत्रित किया गया है व जल्द ही इसे पूरे राजस्थान में लागू किया जाएगा।
ट्रेड लाइसेंस फीस का विरोध कर रहे व्यापारियों का कहना है कि आवासीय स्थल पर व्यवसाय के नाम पर व्यापारी को ब्लैकमेल किया जा रहा है। लंबे समय से जयपुर में कार्यरत व्यापारियों के खिलाफ असामाजिक तत्वों द्वारा छोटी मोटी शिकायत करने पर जेडीए एवं नगर निगम अधिकारी एवं संबंधित एजेंसी के लोग व्यापारी को परेशान करते हैं। इससे कॉलोनियों में छोटे स्तर पर संचालित व्यवसायो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आज बिगड़े हालातों में व्यापारी अवसाद एवं तनावग्रस्त रहने लगा है। व्यापार बंद होने से व्यापारी वर्ग कर्जदार हो गया है जिससे उसका रोजाना रोजी-रोटी चलाना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में ट्रेड लाइसेंस के नाम पर एक टैक्स और लगाना सरासर नाइंसाफी है।
जयपुर लघु उद्योग एवं व्यापार महासंघ संस्था के महामंत्री सईद खान ने कहा कि हमारे प्रतिनिधि मंडल ने निगम पार्षदों के साथ साथ जयपुर सांसद रामचरण बोहरा, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी आदि जनप्रतिनिधियों से मिला है तथा उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन दिया है। आज भी व्यापारी जीएसटी, यूनिट टैक्स, इनकम टैक्स, सेल टैक्स, वैट, जनता टैक्स, लेबर टैक्स आदि के नाम पर विभिन्न प्रकार के शुल्क सरकार को चुका रहे हैं, फिर भी नगर निगम जयपुर ग्रेटर द्वारा ट्रेड लाइसेन्स शुल्क के नाम पर कर वसूली किया जाना बेहद अन्यायपूर्ण है। एक ओर सरकार कर्मचारियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लेकर आती हैं, वहीं व्यापारियों के लिए असामाजिक मृत्यु, बाढ़, भूकंप, आगजनी, लूटपाट की स्थिति में भी सरकार द्वारा कोई मदद नहीं की जाती। ऐसे में इस तरह का टैक्स लगाकर व्यापारियों की कमर तोड़ी जा रही है। जयपुर लघु उद्योग एवं व्यापार महासंघ संस्था के पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार ने अगर यह शुल्क वसूली वापस नहीं ली तो आन्दोलन तेज किया जाएगा।
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