कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 के पश्चात् सृजित भूखण्डों के नियमन, आवंटन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को कोई कानूनी मान्...
कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 के पश्चात् सृजित भूखण्डों के नियमन, आवंटन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को कोई कानूनी मान्यता नही
जयपुर 10 सितम्बर। जयपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 के पश्चात् सृजित, विकसित हुई आवासीय कॉलोनियों या कृषि भूमि पर बनाये गये भूखण्डों के नियमन, आवंटन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को कोई कानूनी मान्यता नही है।
नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शान्ति धारीवाल ने बताया कि कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 तक विकसित हुई आवासीय कॉलोनियों के नियमन के संबंध में भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90-ए (8) के अन्तर्गत गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को मान्यता दी गई है। ऐसे प्रावधान पूर्व में धारा 90-बी (1) के अन्तर्गत भी थे। लेकिन 17 जून, 1999 के पश्चात् विकसित कॉलोनियों या कृषि भूमि पर बनाये गये भूखण्डों के नियमन/आवंटन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को कोई कानूनी मान्यता नही है।
उन्होनें बताया कि भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 90-बी (1)/90-ए (8) के प्रावधान के दृष्टिगत गृह निर्माण सहकारी समितियों से 17 जून, 1999 से पूर्व जारी पट्टों की सूची रिकॉर्ड जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 31 दिसम्बर, 2001 तक जमा करा लिया गया था और जविप्रा द्वारा ऐसे भूखण्डधारी सदस्यों की सूची भी पुस्तिकाओं रूप में मुद्रित करा ली गई थी। गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जो भी रिकॉर्ड उस समय तक संधारित किया गया था, उसे पूर्णतया सदस्यता सूची के साथ जविप्रा में जमा कराया गया था। उसमें से यदि पट्टे अभी तक जारी नहीं किये गये है तो वह ही रिकॉर्ड मान्य होगा जो जविप्रा द्वारा मुद्रित बुकलेट में शामिल हैं। उसके पश्चात् यदि किसी गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा कोई रिकॉर्ड अब प्रस्तुत किया जाता है, तो वह विधि मान्य नहीं है और उसे कोई प्रमाण नहीं माना जा सकता।
उन्होनें स्पष्ट किया कि गृह निर्माण सहकारी समितियों की केवल उसी सदस्यता सूची और पट्टों को मान्यता दी जावेगी, जो कि जयपुर विकास प्राधिकरण में 31 दिसम्बर, 2001 तक प्रस्तुत किये जा चुके है तथा जिनका पुस्तिकाकरण हो चुका है। यदि गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जयपुर विकास प्राधिकरण में प्रस्तुत सूची के पश्चात् भूखण्डधारियों द्वारा अपने भूखण्ड का बेचान किया गया है या विरासत के आधार पर नाम हस्तान्तरण हुआ है ऐसे मामलों में जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नाम हस्तान्तरण की मान्यता दी जायेगी।
यदि कोई आवासीय कॉलोनी 17 जून, 1999 के बाद बिना अनुमति के विकसित हो गई है, तो ऐसी काॅलोनियों में गृह निर्माण सहकारी समितियों के रिकॉर्ड के आधार पर नियमन नहीं किया जावेगा, साथ ही उनके द्वारा जारी किये गये पट्टे जो 17 जून, 1999 के पूर्व के जारी किये दर्शाये गये है, उन्हें वास्तविकता में वर्तमान में बैक डेट में जारी किये गये माने जाकर विधि मान्य नही माने जायेगें। ऐसे भूखण्डधारियों ने यदि भूखण्डों पर आवास या आंशिक निर्माण, चारदीवारी का निर्माण कर लिया है एवं उस पर भूखण्डधारी का कब्जा है तो वे राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी के तहत् ले-आउट के साथ आवेदन कर सकते है। जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा भूखण्डों का सर्वे करवाकर भूखण्डधारियों की सूचियां तैयार कर सर्वे के आधार पर आवंटन, नियमन की कार्यवाही की जावेगी तथा इसके लिए भूखण्डधारी द्वारा सबूत के रूप में भूखण्ड पर किये गये निर्माण संबंधी कोई एक सबूत दस्तावेज कब्जे की पुष्टि करने के रूप प्रस्तुत करना होगा। जिसमें बिजली/पानी/टेलिफोन बिल, पासपोर्ट, ड्राईविंग लाईसेन्स, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक/डाकघर/किसान पास बुक, सम्पति दस्तावेज जैसे रजिस्टर्ड विक्रय पत्र/मुख्तयारनामा/इकरारनामा/वसीयतनामा, पेंशन दस्तावेज जैसे कि भूतपूर्व सैनिक पेंशन, भूतपूर्व सैनिक विधवा/पेंशन आदयगी आदेश/आश्रित प्रमाण-पत्र/वृद्धावस्था पेंशन आदेश/विधवा पेंशन आदेश, स्वतंत्रता सैनानी प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड, नगर पालिका/ विधानसभा चुनाव के मतदाता पहचान पत्र, प्रार्थी के पास उपलब्ध कॉलोनी के ले-आउट प्लान जिसमें विद्यमान भूखण्ड मय निर्मित भवन/निवाई इकाई (निवास सहित/ निवास रहित, रिक्त भूखण्ड (मय चार दिवारी) तथा की सूची मय भूखण्ड स्वामी के नाम, नागरिक कल्याण एसोसिएशन/विकास समिति से भू-स्वामीयों की सूची, आधार कार्ड/वोटर कार्ड, जयपुर विकास प्राधिकरण/नगरीय निकाय द्वारा जारी नाम हस्तान्तरण आदेश, भूखण्डधारी का भूखण्ड स्वामित्व/कब्जे संबंधित अन्य दस्तावेज, भूखण्ड पर भवन निर्माण आवेदन/इजाजत की प्रतिलिपि, निवास स्थान पर पूर्व की प्राप्त डाक एवं निकाय द्वारा या किसी राजकीय विभाग या उपक्रम या न्यायालय का नोटिस अथवा अधिकारिक दस्तावेज जिसमें प्रश्नगत भूमि व स्वामित्व को अंकित किया गया है, शामिल है।
उन्होनें कहा कि जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा किसी कॉलोनी के भूखण्डधारियों द्वारा आवेदन करने पर राज्य स्तरीय समाचार पत्र के स्थानीय संस्करण में विज्ञप्ति जारी कर सभी भूखण्डधारियों को आवेदन देने व अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने का मौका दिया जावेगा। पृथ्वीराज नगर योजना एवं निजी विकासकर्ता द्वारा सृजित योजनाओं के बारें में पृथक से आदेश जारी किये जायेंगे।
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