जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण पर जेडीए के जोन 10 के स्थानीय निवासियों ने भेदभाव का आरोप लगाया और नियमन शिविर अटकाने की बात कही। द...
जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण पर जेडीए के जोन 10 के स्थानीय निवासियों ने भेदभाव का आरोप लगाया और नियमन शिविर अटकाने की बात कही।
दरअसल 13 साल पहले राज्य सरकार से समझाेते और काेर्ट आदेश के बावजूद जेडीए जाेन-10 जगतपुरा में स्थित आर्यवीर नगर और व्यास काॅलाेनी के नियमन का मामला अटका रखा है। जगतपुरा महल की चाैड़ाई बढ़ाने के लिए 2008 में जेडीए इन दाेनाें काॅलाेनियाें में सड़क की तरफ स्थित भूखंडाें की जमीन बिना मुआवजे दिए ली थी और समझाैता किया था, कि इन भूखंडाें पर जीराे सैटबैक पर निर्माण करने की अनुमति हाेगी और काॅलाेनी का नियमन भी कर दिया जाएगा। इस समझाेते के बाद ही भूखंडधारियाें ने बिना मुआवजे जमीन समर्पित कर दी। जेडीए ने 2008 में ही इस सड़क 160 फीट करने का निर्णय बीपीसीएलपी की बैठक किया। 2013 में राज्य सरकार ने नियमन की अनुमति दे दी लेकिन नियमन आज तक नहीं हुआ।
कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगें
आर्यवीर नगर व्यास काॅलाेनी विकास समिति के अध्यक्ष नरेश कुमार अराेड़ा ने बताया कि बीपीसीएलपी की बैठक में ताे जेडीए ने सड़क काे 160 फीट करने का निर्णय ताे ले लिया लेकिन मास्टर प्लान 2025 में इसे 200 फीट दर्शा दिया। जेडीए की गलती अब भूखंडधारियाें काे भारी पड़ रही है। जबकि 2017 में भी इस सड़क काे 160 फीट करने निर्णय हुआ लेकिन नियमन की फाइल अभी तक ठंडे बस्ते में है। अब समिति सदस्य कोर्ट जाने की तैयारी कर रहें हैं।
अब गुलाब कोठारी की दिया हवाला
समिति सदस्यों का कहना हैं कि जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से अब इस प्रकरण में गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार निर्णय का हवाला दिया जा रहा है जबकि इस भूमि के आसपास कई भूखंडों को जीडीए पट्टे जारी हो गए हैं।
लोहामंडी मामला ताजा उदाहरण
जेडीए ने हाल ही में लाेहामंडी के मामले जिसका लैंड यूज सर्कुलेशन था, उसका लैंड यूज चेंज कर दिया। मास्टर प्लान 2011 व 2025 में यह भूमि का लैंड यूज सर्कुलेशन था। काेर्ट ने भी 2009 में जेडीए काे छह महीने में नियमन करने के आदेश दिए थे, लेकिन अब इसकी पालना नहीं हुई। जबकि प्रशासन शहराें के संग अभियान में राज्य सरकार पट्टाें की रेवडियां बांटने जा रही है।
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