भाजपा वोट बैंक तीन प्रत्याशियों में विभाजित जयपुर। कांग्रेस विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत के निधन से रिक्त हुई वल्लभनगर विधानसभा सीट पर हो रह...
भाजपा वोट बैंक तीन प्रत्याशियों में विभाजित
जयपुर। कांग्रेस विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत के निधन से रिक्त हुई वल्लभनगर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव की तिथि ज्यों-ज्यों समीप आ रही है प्रचार अभियान जोरों पर चल रहा है। यहां यों तो नौ उम्मीदवार मैदान में है लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस व निर्दलीय जनता सेना के बीच तय हो चुका है।
इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस दिग्गज गुलाबसिंह शक्तावत का परिवार काबिज रहा है। अब एक बार पुन: अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए कांग्रेस सहित शक्तावत परिवार भी दिनरात जुटा है। कांग्रेस ने दिवंगत विधायक गजेन्द्र सिंह की पत्नी प्रीती कंवर शक्तावत को उम्मीदवार बनाया है। परिवार में ही दो धड़े होने से प्रीति के समर्थकों को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। यहां से गजेन्द्र सिंह के भाई देवेन्द्रसिंह भी अपनी दावेदारी कर रहे थे। वहीं,टिकिट नहीं मिलने से असंतुष्ट देवेन्द्र सिंह कांग्रेस के लिए समर्थन जुटाएंगे इसमें संदेह है। कांग्रेस को पूरी आशा है कि उसके पारंपरिक वोट के साथ ही नवमतदाताओं का समर्थन एवं सहानुभूमि का फायदा मिलेगा। जिला प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दल-बल के साथ इस प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाकर मत समर्थन जुटाने के प्रयास में जुटे है। इस बार माहौल शांत है और मतदाता मौन है। प्रीति कुंवर की जीत पूर्णतया नवमतदाताओं पर ही निर्भर रहेगी।
इधर, पहले ही हथियार डाल चुके विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही है। कारण स्पष्ट है कि वसुंधरा राजे भाजपा अपने बागी प्रत्याशी उदयलाल रहे थे तथा इस बार भी उनकी के करीब रहे भीण्डर की पृष्ठभूमि भी डांगी से जूझ रही है। इस बार इस क्षेत्र में भाजपा का वोट बैंक तीन प्रत्याशियों में विभाजित होगा। भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला को “पैराशूट" प्रत्याशी मानकर कार्यकर्ताओं में निराशा है। क्षेत्रीय सांसद सी. पी. जोशी की नजदीकियों से टिकट विधानसभा क्षेत्र में डेरा डालकर पार्टी हांसिल करने वाले हिम्मत सिंह झाला का राजनीतिक आधार मजबूत नहीं बताया जा रहा है। कार्यकर्ताओं से भी उनका सीधा सम्पर्क नहीं है। ऐसे में भाजपा को उनके लिए वोट जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
इधर, भाजपा दिग्गज कटारिया के सारथी रहे उदयलाल डांगी पार्टी की उपेक्षा पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा का दामन थाम चुके है। उल्लेखनीय है कि विगत डेढ दशक से भाजपा के लिए समर्पित रहे डांगी गत उम्मीदवारी पक्की मानी जा रही थी लेकिन एनवक्त पर टिकट कटने से उन्होंने रालोपा का दामन थाम लिया। रालोपा पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल अपनी टीम के साथ डांगी के समर्थन जुटे है तथा कांग्रेस भाजपा की नाकामियों को उजागर करते हुए डांगी के लिए मत समर्थन जुटा रहे है। डांगी को ओबीसी एवं दलित वर्ग का भी समर्थन प्राप्त है ऐसे में भाजपा के वोटों का विभाजन निश्चित ही होगा जो कि भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
दूसरी ओर सीधे मुकाबले में खड़े जनता सेना सुप्रीमो महाराज रणधीर सिंह भीण्डर की राह भी इस बार आसान नहीं है। गत चुनाव में सीधी टक्कर में केवल 3719 मतों से हारे भीण्डर को इस चुनाव में कड़ी मशक्कत करनी पड़ भाजपा की ही है तथा उनका जनाधार भी भाजपा कार्यकर्ता ही है। अब उदयलाल डांगी एवं हिम्मत सिंह झाला में मतों का विभाजन के साथ ही रणधीर सिंह भीण्डर को भी यहीं से मत समर्थन जुटाना है। भाजपा वोट बैंक तीन प्रत्याशियों में विभाजित होने के कारण इस बार भीण्डर को भी लोहे के चने चबाने पड़ रहे है। हालांकि भीण्डर अपनी जीत के लिए आश्वस्त बताए रहे है। क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को वे अपने उपलब्धियां बताते हुए समर्थन जुटाने में लगे है।
इस प्रकार तीन प्रत्याशियों में बंटे भाजपा वोट बैंक, सहानुभूमि लहर तथा कांग्रेस के पारंपरिक वोटों को अपने जीत का आधार मानते हुए प्रीती कुंवर एवं जनता सेना के रणधीर सिंह भीण्डर में कांटे की टक्कर होना लगभग तय है।
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