दौसा की छात्रा नेहा ने पुत्र की भांति पिता के अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाईं दौसा। एक पिता की इच्छा होती है कि वह डोली में ब...
दौसा। एक पिता की इच्छा होती है कि वह डोली में बिठाकर बेटी को विदा करे, पर जब एक बेटी को पढ़ने की उम्र में पिता की अर्थी को कंधा देना पड़े तो वह बोझ कितना भारी होता है, यह अकल्पनीय है। दौसा में कक्षा 12 की छात्रा नेहा शेखावत ऐसी ही बेटी है, जिसकी हंसने-खेलने की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया। एक पुत्र की भांति नेहा ने पिता के अंतिम संस्कार की सभी रस्मों को पूरा किया।
नेहा के पिता अरविंद सिंह शेखावत स्वस्थ थे। नौकरी कर रहे थे, पर चंद दिनों पहले एकाएक बीमार हो गए। परिवार को भरोसा था कि इलाज से अरविंद पुन: स्वस्थ हो जाएंगे, लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।
अरविंद की कमर में दर्द था, जो आज एक आम सी परेशानी है। जब दौसा में उचित इलाज नहीं मिला तो अरविंद ने जयपुर में डॉक्टर को दिखाने का निर्णय लिया। अरविंद की उम्र भी कुछ खास नहीं थी। अभी उनकी नौकरी के 10 साल और बाकी थे।
परिवार ने बताया कि अरविंद दौसा से जयपुर के लिए चले तो सही, पर डॉक्टर के पास तक कभी पहुंच ना सके। रास्ते में कानोता के पास उनका निधन हो गया। मूलतः झुंझुनू के रहने वाले अरविंद की बेटी नेहा ने पिता की अंतिम रस्मों की अदा कीं। मुखाग्नि दी, पिंडदान किया, हवन, पूजन सब नेहा ने हीं किया।
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